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डॉ. विजयेन्द्र रामकृष्ण शास्त्री


विज्ञान एवं अध्यात्म का अद्भुत समन्वय: 

स्व. प्रोफेसर डॉ. विजयेन्द्र रामकृष्ण शास्त्री, ज्योतिष के  मूर्धन्य विज्ञान एवं होल्कर स्टेट के विद्वत परिषद के आदरणीय आचार्य पं. रामकृष्ण शास्त्री के ज्येष्ठ पुत्र थे। डॉ. शास्त्री ने स्नातकोत्तर शिक्षा इंदौर से प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए उत्तीर्ण की। माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षा श्री वैष्णव स्कूल के प्रथम मेरिट विद्यार्थी के रूप में उत्तीर्ण की थी। होल्कर महाविद्यालय से रसायन शास्त्र विषय में एम.एससी. प्रथम स्थान के साथ उनीर्ण को और छात्रसंघ के निर्विरोध अध्यक्ष भी रहे। खेलों में भी सदैव उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। समस्त कठिन योगासन वे सहजता से कर लेते थे। डॉक्टरेट उपाधि कालांतर में विक्रम विश्वविद्यालय से प्राप्त की। सन् 1964 से उज्जयिनी की कर्मस्थली के रूप में चुनकर यहीं के होकर रह गए।

श्रीमती शारदा देवी उपाध्याय

मेरी माता जी स्व शारदा देवी उपाध्याय का जन्म 24 अप्रेल 1934 में धार के प्रसिद्ध समाज सेवी स्व बाबूराव जी नारमदेव जी के यहाँ हुआ प्राम्भिक शिक्षा  मेट्रिक विद्यविनोदिनी से प्राप्त की  आपका विवाह 1954 में तलवाड़ा डेब् के उपाध्याय परिवार में स्व महादेव प्रसाद उपाध्याय के साथ हुई

श्री महादेव प्रसाद उपाध्याय

 

मेरे पिता स्व महादेव प्रसाद उपाध्याय का जन्म तलवाड़ा डेब के किशनलाल जी उपाध्याय परसाई परिवार में 1928 में हुआ आपकी प्राम्भिक शिक्षा बड़वानी में हुईआपके बड़े भ्राता स्व विष्णुराम जी उपाध्याय बड़वानी स्टेट में तहसील में न्याजिर थे,

श्रीमती आशा विजयेंद्र शास्री

पं रामकृष्ण सिद्धेश्वर भट्ट

 रहटाकलां, जिला हरदा , में रघुसन्त कई समाधि पर जन्मे मूल निवासी पं रामकृष्ण सिद्धेश्वर भट्ट, 1914 में धोती लोटा ले कर इंदौर आए, कुशाग्र बालक प्रतिभा के बल पर संस्कृत और ज्योतिष का विद्वान बना। लार्ड रिपन के नाम पर स्थापित, बनारस विश्वविद्यालय  का गोल्ड मेडल मिला।

श्री गेंदालाल जी खेड़े


श्री गेंदालाल जी खेड़े 

    जन्म सन्  1906

    स्वर्गवास 26 -01-1994

    गोत्र - मुदगिल

मूल निवासी - ग्राम रहाड़कोट तह. बड़वाह जिला खरगोन                                                       

      सन् 1906 में श्री गेंदालाल जी का जन्म हुआ आपके पिताजी का नाम श्री तुकारामजी खेड़े एवं माता का नाम श्रीमती घीसी बाई था। आप अपने पिता की चौथी सन्तान थे। आपका विवाह खण्डवा निवासी श्री रामरतन जी साध की बेटी गंगा बाई के साथ हुआ था।

       आप पैतृक पटवारी पद पर रहे, सन् 1962 में मध्यप्रदेश शासनकाल में राजस्व निरीक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए। 

     आप शुरू से ही बड़े ही मेहनती, कर्मठ, ईमानदार एवं स्वाभिमानी थे। आपने अपनी जिम्मेदारियों को बहुत ही अच्छी तरह से निभाया। 

    आपकी बहन जो असमय ही विधवा हो गई थी उन्हें व उनके 5 बच्चों को 20 वर्ष तक आपने अपने पास रख कर देखभाल की और उन्हें पढ़ा लिखा कर काबिल बनाया। 

   आप अपने सामर्थ्य के अनुसार हमेशा सब की मदद के लिए तत्पर रहते थे। 

     आप भरेपूरे परिवार के मुखिया थे, जिसमें चार पुत्र और तीन पुत्रियाँ है और नाती पोती से भरापूरा परिवार है। 

      मुझे भी अपने दादाजी का बहुत स्नेह और लाड़ मिला और जीवनोपयोगी बहुत सी बातें सीखने को मिली। 

    26 जनवरी 1994  तिथि - पौष शुक्लपक्ष चतुर्दशी को आपका स्वर्गवास हो गया। 

     पूज्यनीय दादाजी को शत शत नमन....

  श्रीमती रीना अश्विन शुक्ला

            ( पोती )

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Gendalal khede

श्रीमती गिरिजा सोहनी

 


श्रीमती गिरिजा सोहनी पत्नी स्व रामनारायण सोहनी एवं पुत्री स्व श्री गौरीशंकर जी शर्मा झाकरूड।

गोत्र :- वत्स 

जन्म दिनांक :- 01/01/1933

शिक्षा प्रारम्भिक पुण्य

तिथि 20, सितम्बर,2019

श्री रामनारायण जी सोहनी

 

श्री रामनारायण जी सोहनी सुपुत्र श्री स्व पंडित शिवलालजी सोहनी मूलनिवासी ग्राम, घुघरियाखेडी वत्स गोत्र जन्म 1924 शिक्षा बीए.एलएल.बी 

पुण्य तिथि :- 12/5/95

श्री दिनेश सीताराम जी शर्मा

श्री दिनेश शर्मा पिता श्री सीताराम जी शर्मा, मूल निवासी ग्राम टीही तहसील महू, जिला इन्दौर.।

पूज्य पिताजी का जन्म दिनांक 18 मार्च 1943 को देवास जिले के क्षिप्रा ग्राम में हुआ. दादाजी उस समय क्षिप्रा ग्राम में नाकेदार के पद पर कार्यरत थे, नाके बंद होने के बाद उन्हें अपने ही गाँव टीही के पास श्रीखंडी गाँव में शिक्षक का पदभार मिला और वहीं से वे सेवानिवृत्त हुए।


1955 से 1960 के समय में जूनी इन्दौर में किराये के मकान में रहते हुए अलग अलग नोकरी करते हुए पिताजी ने अपनी स्कूल की पढ़ाई की  तभी दादाजी ने बहुत साहस कर राज मोहल्ला में एक प्लाट खरीदा और इस पर घर बनाने के लिए स्वयं काम कर सहयोग किया. ये वो समय था जब राज मोहल्ला इन्दौर का कोना माना जाता था, यह मकान  टीही गाँव वालों के लिए एक मिसाल बना कि जब किसी गाँव वाले का इन्दौर में प्लाट नहीं था जब मारसाब का मकान था.।

पिताजी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई और उच्च शिक्षा के लिए वे इन्दौर आए जीवन के शुरू से ही आप आत्मनिर्भर रहे और अपने स्कूल, कालेज की पढ़ाई के साथ साथ कभी वैद्य खयाली रामजी के यहाँ नोकरी की कभी अखबार बांटने का काम कर तो कभी आईसक्रीम बेच कर अपनी छोटी छोटी आमदनी से अपने पिता का सहयोग किया 

इन्दौर के क्रिश्चियन कालेज से बी. काम. और आगे खंडवा के एस. एन. कालेज से एम. काम. की डिग्री हासिल की।

पहली सरकारी नौकरी मध्यप्रदेश शासन में सिंचाई विभाग में खंडवा में लगी और इस नौकरी के साथ साथ आपने बैंक की परीक्षा दी और भारतीय स्टेट बैंक में क्लर्क के पद से अपनी दूसरी और आखिरी सरकारी नौकरी की शुरुआत की।

बैंक में और परिवार में वे अपनी सुन्दर हस्तलिपि के कारण बहुत प्रसिद्ध हुए.।

अपनी कार्यशैली और कर्तव्यनिष्ठा से आप को जल्द ही एक सफल मेनेजर के रूप में प्रदेश की कई शाखाओं में अपनी सेवा देने का अवसर मिला.

बैंक में रहते हुए अपने कुशल व्यवहार से कई सफल व्यवसायी, अफसर, नेता, अभिनेता और समाज के लोगों में अपनी अलग पहचान बनाईं ।

बैंक में वे जादूगर के नाम से भी प्रसिद्ध हूए क्योंकि जादूगर आनंद के साथ आपने जादू के वैश्विक सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए यूरोप के देशों की यात्राएं की और अपने देश में भी बैंक के कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुतियों से सभी को अचंभित किया.. 

जीवन में अब एक ठहराव सा आने लगा और तभी बैंक ने आपको फिर एक नई चुनौती के लिए चुना वह शुरुआत थी बैंकों के कम्प्यूटरीकृत करने की.. इसके लिए आपको कई महीने हैदराबाद स्थित बैंक के ट्रेनिंग सेंटर में रहकर कंप्यूटर की भाषाओं को सिखने का मौका मिला और बाद में जोनल आफिस, भोपाल में सिनीयर मेनेजर के पद पर रहते हुए मध्यप्रदेश की पहली 26 शाखाओं को कम्प्यूटर से जोड़ा।

अपने पूरे जीवन में कई उपलब्धि हासिल करते हुए योग, अध्यात्म और पर्यावरण के लिए भी बहुत रुझान रहा ।

योगी के रूप में नियमित रूप से प्रातः 4 बजे ठंडे पानी से स्नान करने के बाद आसन करना फिर बगीचों मे जाकर हास्य क्लबों की स्थापना करना और जिम्मेदारी से उन्हें संचालित करना उनका शौक था ।

अध्यात्म के क्षेत्र में विपश्यना को आधार बना कर स्वयं कई 10 दिवसीय कोर्स जिसमें से एक गुरु जी श्री सत्यनारायण गोयनका जी के साथ कुछ 20 दिवसीय और कुछ 45 दिवसीय कोर्स पूरा कर ध्यान के चरम पद को हासिल किया साथ ही कितने ही लोगों को विपश्यना का मार्ग बता कर उनका उद्धार किया.

पर्यावरण के लिए सदैव प्रकृति के साथ ही रहना और जो कुछ भी प्रकृति से मिले उसे वापस लोटाने के उद्देश्य से काम करना, इसी कोशिश में 6 अप्रैल 2015 को आप ने अपनी आँखें, त्वचा के साथ अपनी सम्पूर्ण देह वैज्ञानिक अनुसंधान हेतु इन्दौर मेडिकल कॉलेज को सौंप दी और कई लोगों के लिए एक मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया.

अपने जीवन की गागर में सम्पूर्ण सागर को समेट कर उनके सम्पर्क में आने वाले हर व्यक्ति के हृदय में अपनी छाप छोड़ने वाले हमारे पूज्य पिताजी को हम अंतर्मन से श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं! 

नर्मदे हर 

अश्विन, अनुपमा, अक्षय शर्मा


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Dinesh chandra sharma

श्री नारायणराव जी पगारे

 स्व श्री नारायणराव जी पगारे
 पिता स्व. श्री रामभाउ जी पगारे
जन्मतिथि :- सन - 1911
पुण्यतिथि :- 07/09/1985 (जन्माष्टमी तिथि)
गौत्र :- कौशिक
आप का जन्म टाकली बड़गांव के प्रतिष्ठित पगारे परिवार में हुवा था। माता नाम सौ. सरस्वती देवी था। आप अपने पिता के मजले पुत्र थे।

श्री प्रहलाद राव पगारे

स्व. श्री प्रहलाद राव जी पगारे
     पिता स्व. श्री नारायण राव जी पगारे
जन्मतिथि :- 02/02/1928
पुण्यतिथि :- 18/02/ 2006 (पंचमी तिथि)
गौत्र :- कौशिक
जीवन परिचय :- आप का जन्म टाकली बड़गांव के पगारे परिवार में हुवा था । माता का नाम अनुसुइया देवी था। आप अपने पिता के इकलौते पुत्र थे एवं आप की पांच बहने थी ।

श्री अमृत लाल सीताराम चौकडे़


स्वर्गीय श्री अमृत लाल चौकडे़

जन्मतिथि *०९-०३-१९२७* -  पुण्यतिथि *19-०१-२०१७*।
आप खरगोन जिले की राजगढ़ तहसील के छोटे से ग्राम पाडल्या करही के मूल निवासी हैं । इनके पिता श्री सीताराम जी चौकडे़ प्रधान अध्यापक तथा माता प्यारी बाई है । इनकी पत्नी श्रीमती बसंती देवी चौकड़े है । यह ज्येष्ठ पुत्र थे ।

श्रीमती बसंती अमृतलाल चौकड़े

जन्म- बसंत पंचमी सन् 1935 और मृत्यु 11अक्टूबर सन् 2013.

मेरी सासू जी श्रीमती बसंती चौकड़े का जन्म मोखल गांव खंडवा के श्री नारायण राव उपाध्याय एवं दुर्गा देवी की पुत्री के रूप में हुआ ।आप का विवाह श्री अमृतलाल  चौकड़े के साथ हुआ। पति की अल्प आमदनी में 8 सदस्यों से भरे पूरे परिवार का पालन पोषण पूरी संजीदगी से किया।

श्री बाबूलाल गंगाधर उपाध्याय

श्री बाबूलाल गंगाधर उपाध्याय।

निमाड़ के छोटे कस्बे साटकुर में गंगाधर जी उपाध्याय के परिवार में 01-01-1938 को जन्म हुआ। उस समय के जमीन जायदाद से बड़ा सम्पन्न परिवार था कईं मकान थे गाँव में। बड़ा परिवार था, 4 भाई 3 बहने ।
शैक्षिक असुविधाओं के बीच पिताजी ने आगे की पढ़ाई कसरावद बड़वानी से की। फिर स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत रहे , बिलासपुर से आरम्भ हुआ सफर कांटाफोड़ कन्नौद और फिर देवास से रिटायर हुए। 

श्रीमती कृष्णा बाबूलाल जी उपाध्याय

 

श्रीमती कृष्णा बाबूलाल उपाध्याय

माताजी का जन्म 03 नव 1946 आँवला नवमी को हुआ था, नानाजी मुरलीधर जी पूरे और नानीजी श्रीमती दमवंती पूरे के घर पालसूद में भरापूरा परिवार 2 भाई 3 बहने , माँ सबसे वरिष्ठ सन्तान थीं।  पालसूद हमारे नानाजी का पुश्तेनी गांव था ।  माँ की बचपन की यादों में मण्डलेश्वर भी बहुत बसता था जहाँ वो गर्मी की छुट्टियों में भाई बहनों के साथ नर्मदा जी का आनन्द लेते थे । 

श्री सुंदरलाल जी पगारे


श्री सुंदरलाल जी पगारे 

पिता श्री गेंदालाल जी पगारे
जन्म दिनांक :- सन 1922
पुण्य तिथि :- 30/05/1994  (जेष्ठ,कृष्ण पक्ष सत्तमी)

  गोत्र :- कौशिक 
 आपका जन्म प्रतिष्ठित पगारे परिवार में टाकली बड़गांव पश्चिमी निमाड़ में हुआ था आपके पिता का नाम गेंदालाल जी पगारे, उनके पांच पुत्र और दो पुत्रियां है पुत्रों में आप सबसे बड़े पुत्र थे आपको पूरा गांव मोटा भाई के नाम से जानता है

श्रीमती उमा विश्वनाथ प्रसाद जी सोहनी

 

श्रीमती  उमा सोहनी

पिता - पूज्य स्वर्गीय सुन्दर लाल जी पगारे

पति- श्री विश्वनाथ प्रसाद जी सोहनी (खलघाट), रिटायर्ड चीफ इंजीनियर सिचाई विभाग, हरियाणा.

जन्म तिथि- 16 फरवरी, 1939.( फागुन वदी 2/1995.

पुण्यतिथि- 12 जनवरी, 2019( पोष सुदी सप्तमी, शनिवार). 

गौत्र- वत्स.

श्रीमती प्रभा कैलाशचंद्र जी सोहनी


श्रीमती  प्रभा पति श्री कैलाशचंद्र जी सोहनी बमन गांव कसरावद। 

 पुण्य तिथि * जेष्ठ कृष्णा तीज 31 मई 2010           गोत्र वच्छ 
माता  जी  बड़गांव के प्रतिष्ठित पगारे परिवार के श्री सुंदर लाल जी प गारे की पुत्री है आप हंसमुख और सरल स्वभाव की थी आप के 1 पुत्र डॉ संजय सोहनी का असामयिक निधन हुआ आपकी बेटी निधि का खंडवा के शुक्ला परिवार के श्री  अनादि जी शुक्ला से विवाह संपन्न हुआ है।

श्री गेंदालाल गुलाबचन्दजी पगारे

 स्व.गेंदालालजी पगारे पिता स्व.गुलाब चन्दजी पगारे  टाकली बडगॉव प. नि.

जन्म:-. १-१-१९०१.          पुण्यतिथि:-७-९-१९८९                        

गौत्र. कौशिक   

आपका जन्म  टाकली बडगॉव के पगारे परिवार मे हुवा, माता का नाम भागवन्ती बाई ! पूज्य दादा के बडे भाई का नाम गजानन था और सबसे बडी बहन थी उनका नाम हिरूबाई था,हिरूबाई का ससुराल मोयदे परिवार मण्डलेश्वर था ! बडे भाई का निधन गॉव मे फैली प्लैग बिमारी मे हुवा ! आपका जनेऊ संस्कार काशीजी मे हुवा !

श्री सुरेश चंद्र जी शर्मा ,खरगोन

मेरे पिताजी श्री सुरेशचंद्र जी शर्मा, श्रीमती मनोरमा स्व श्री नारायण राव जी शर्मा की 7 सन्तानो में दुसरे नंबर पर श्री सुरेशचंद्र जी शर्मा का जन्म दिनांक 04/10/1949 (आश्विन शुक्ल दशमी )  को हुआ। उनकी प्राथमिक शिक्षा पैतृक गांव (झाकरुड़) तथा धरमपुरी (खुजावा) मे हुई। उन्होंने पॉलिटेक्निक सनावद से डिप्लोमा करने के बाद दूरसंचार विभाग (भारत संचार निगम लिमिटेड का पूर्ववर्ती) मे T T O के पद पर रायगढ़ (छत्तीसगढ़) मे नौकरी प्रारम्भ की। 

श्रीमती सागर बाई लक्ष्मीनारायण मोयदे

श्रीमती सागर बाई मोयदे 
पति स्व. श्री लक्ष्मीनारायण जी मोयदे ( एडव्होकेट पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष )
पुण्यतिथि -  24-05-1989
गौत्र- मोनस
पिता स्व.श्री कामदार परिवार , ग्राम कानापुर तहसील कसरावद जिला खरगोन निवासी की सुपुत्री

श्रीमती शारदा देवी चौरे

हमारी माताजी श्रीमती शारदा देवी चौरे सरल सौम्य व्यवहार मैंने अपने जीवन में कभी भी उनको किसी से ऊंची आवाज में बात करते नही सुना हमको संस्कारित करने में उन्होंने कोई कसर नही छोड़ी पुजा पाठ से लेकर घर के काम तक हमको सिखाए मैंने अपनी माँ में हमेशा भगवान देखे।

श्रीमती ज्योति सुनील पगारे

श्रीमती ज्योति पति श्री सुनील पगारे

भोपाल (बडगांव टाकली वाले) 

जन्म-         24-01-1967

पुण्यतिथि-  02-01-2002

गौत्र-          कौशिक

श्रीमती इंद्रावती भाटे

जन्म 01-01-1935
मोक्ष 12 -05 -2015

मेरी माताजी श्रीमती इंद्रावती भाटे का जन्म खरगोन के सभ्रांत परिवार में श्री नारायण शुक्ल वकील के यहाँ हुआ। कम उम्र में विवाह श्री नर्मदा शंकर भाटे जी से हुआ ।

उनकी उम्र 18 साल थी जब मेरा जन्म हुआ , माँ ने  ना सिर्फ मुझे पाल पोस कर बड़ा किया बल्कि नौकरी भी की। 1959 में उन्होंने शासकीय सेवा शिक्षक के रूप में जॉइन की। उस समय में जब महिलाओ के लिए नोकरी आसान नहीं होती थी, ना सिर्फ समाज से पर अपने परिवार से भी लड़ झगड़ कर नौकरी करी और मेरे लिए एक मां और बाप का रोल निभाया ।

श्री गौरीशंकर शर्मा "गौरीश"

श्री गौरीशंकर शर्मा "गौरीश"(मेरे पूज्य पिताजी)का जन्म कसरावद तहसील के ग्राम बलखड में वहां के जागीरदार स्व अमृतराव  कानूनगो के यहां 5/3/1931 को हुआ। कम उम्र में उनके पिताजी का निधन होने से कक्षा 7 वीं पास कर शिक्षक की नौकरी करली बाद में एम .ए . बी एड करने के बाद सहायक जिला शिक्षा अधिकारी के पद से सेवा निवृत्त हुए।

        बचपन से ही मां सरस्वती के आशीर्वाद से निमाड़ी कविताएं लिखने लग गए ओर सन् 1956 से 1998 तक आकाश वाणी द्वारा उनकी रचनाओं का सतत् प्रसारण हुआ। उनके द्वारा लिखित निमाड़ी की हो हो हर हर नरमदा माय ओर वीरपस  गीत  निमाड़ में लोक गीत के रूप में गाए जाने लगा है।

      उनके द्वारा रचित,रेवा की ल्यहर,निमाड़ी तुलसी दोहावली, गीता मानस जिसमें श्रीमद् भगवतगीता का निमाड़ी अनुवाद दोहा चौपाई में, नर्मदा पुराण निमाड़ी दोहा चौपाई में अनुवाद, सत्य नारायण की कथा प्रकाशित हो चुकी है साथ ही उनका हिंदी का कविता संग्रह प्रकाशित होना बाकी है। सरस्वती पुत्र पिताजी प्रकृति प्रेमी, श्रृंगार के कवि के साथ साथ मां नर्मदा के अनन्य भक्त थे।

   हम सभी भाई बहनों और गौरीश परिवार बलखड की और से सादर श्रद्धांजली और प्रणाम।

मोक्ष दिवस 09.09.2002

प्रकाश चन्द्र शर्मा, 

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Gaurishankar Sharma Gaurish


श्री पाण्डुरंग रामलाल सराफ बर्सले


 स्व. श्री पाण्डुरंग पिता श्री रामलाल सराफ बर्सले टिमरनी ।

1932   2006 

टिमरनी समाज के स्थंम्भ रहे ,सरल  उदार जरूरत मंद की सहायता मे हमेशा तत्तपर ।पुत्र  

मनोहर बर्सले टिमरनी ।

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Pandurang ramlal saraf barsle

श्री जयनारायण शोभारामजी गीते

श्री जयनारायण शोभारामजी गीते मूल निवास ब्राम्हणगांव त.  ठीकरी जिला बड़वानी का स्मरण आता है जिनका आदर्श जीवन हमारे परिवार के लिए प्रेरणादायक रहा है । उनका जन्म ब्राम्हणगांव (दवाना) मे सन् 09/041934 में हुआ, वे दो भाइयों में छोटे थे । धीर गंभीर प्रकृति के धनी वे अनुशासनप्रिय, सिद्धांत प्रिय पारिवारिक एवं  कर्मकाण्ड सध्यां पुजा   परोपकार एवं सेवा भावना से उनका जीवन ओत प्रोत रहा । उनके माता पिता का निधन उनके बाल्या अवस्था में ही होने से परवरिश बड़े भाई ने किया व अध्ययन के लिए माड़वगड़ (धार) गुरुकुल भेजा गया जहां प्राथमिक शिक्षा व संस्कृत भाषा व कर्मकाड की शिक्षा पूर्ण कर वहीं पर आचार्य बने व शिक्षा विभाग में सर्विस गुरुकुल में ही प्रारंभ की नोकरी ज्वाईन करने के लिए सन् 1954 में वे नर्मदा नदी पार कर  धरमपुरी होते हुवे पैदल ही माडव पहुंच गये 22 वर्ष मांडव में रहने के बाद सन् 1969 उनका स्थानांतरण बड़वाह स्थित शासकीय संस्कृत विद्यालय में प्रधान अध्यापक के पद पर हुवा व बड़वाह में अपने 4 बच्चो सहित बड़वाह में निवास किया

 वे अपने काम से बहुत प्रेम करते थे । मैंने उन्हें कभी क्रोधित होते हुए नहीं देखा न ही उन्होंने किसी को प्रताड़ित किया , बड़वाह एवम् समाज में पंड़ितजी वह गुरूजी के नाम से पहचाना जाता था । प्रतिदिन सुबह नागेश्वर मंदिर जाना एवम् हनुमानजी

का पाठ व अभिषेक पुजन  करते थे उनके सानिध्य में बड़वाह के संस्कत विद्यालय में विप्र जनों ने अध्ययन कर कर्मकाण्ड सिखा व आज भी उनके शिष्य आजीविका चला रहे  वे अपने कर्त्तव्यों से विचलित नहीं होते थे  । हर छोटे बड़े को वे यथोचित सम्मान देते थे ।वै कन्या का आरद सम्मान करते थै तो वे स्वयं उनके पैर छूते थे उनका यह व्यवहार प्रेरणास्पद एवम् अनुकरणीय था । उनके व्यक्तित्व के प्रभाव से आज भी मेरा परिवार प्रेम  के सूत्र में बंधा हुआ है। जीवन के उत्तरार्ध में भी वै कर्म के प्रति जागरूक रहे 1994 में सेवा निवृत्त होने के बाद भी कर्मकाड उनकी रूची बनी रही  स्वास्थ्य  में नर्म गर्म  हुआ करता था बुखार एवम् प्रोस्ट्रेट के कारण वो निरन्तर उनका स्वास्थ गिरता रहा व 15 फरवरी 2010 को 77 वर्ष की आयु में निधन हो गया 

बस यादें  ही  बाकि है मेरी आंखे नम हो रही है मुझे ऐसा लगा कि शायद वे   जल्दी चले गए वे अधिक उम्र तक जीवित रहते तो यह परिवार के लिए लाभकारी होता। फिर भी  विधाता के आगे कोई नहीं है जो भी समय हमारे साथ रहे उनका आशीर्वाद पहले भी था व आज भी है । 

ऐसे   पुण्य आत्मा का स्मरण पर विनम्र भावभीनी श्रद्धांजलि। शत शत नमन ।स्मरण 

 पवन गीते एवं समस्त गीते परिवार ।

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(Jaynarayan geete)


श्री गजानन राव जी शर्मा मनावर

श्री गजानन राव जी शर्मा मनावर

मनावर का शर्मा परिवार निमाड़ में एक जाना पहचाना परिवार है मेरे पिताजी श्री गजानन राव पिता विष्णु राम जी के नाम से जाने जाते थे हमारा परिवार पहले बांकानेर में रहता था बाद में शिक्षा एवं स्वास्थ्य कारण से मनावर आकर रहने लगा

श्री नारायण ब्रजलालजी सोहनी

पैतृक गांव -ब्राह्ममण गांव तहसील कसरॉवद जिला खरगोन
श्री नारायण सोहनी जी का जन्म सन 1906 ब्राहमण गांव में ब्रजलालजी सोहनी के घर हुआ। परिवार में पांच भाई और तीन बहने थी। परिवार में एकता बहुत थी और  हमेशा ही रही। आपकी प्रारंभिक शिक्षा धामनोद(नानाजी)के घर रहते हुए हुई।  उनका विवाह सौ घिसी बाई  (पिता रामभाऊ -माता सुभद्रा)  पंधाना से हुई।

श्री पंढरीनाथ वामनरावजी बर्वे

हमारे परम पूज्य आदरणीय पापा श्री पंढरीनाथ जी बर्वे पूज्यनीय वामनरावजी बर्वे के सुपुत्र व चार बहनो के इकलौते भाई थे।उनका जन्म 29 दिसम्बर 1946 व देहावसान 30 अप्रैल 2005 को हुवा। वे मूल निवासी  बलकवाड़ा  के थे ।आपकी धर्मपत्नी श्रीमती  मंजुला बर्वे बड़वानी के  श्री पंढरीनाथ जी जोशी की सुपुत्री  हैं।  

श्री बलराम हरिभाऊ गीते

      मेरे पिता स्व . श्रीबलराम जी हरिभाऊजी गीते मूल निवास . सुलगांव तेह. पुनासा जिला. खंडवा का जन्म सन् 1911 में हुआ ।पांच बेटे दो बेटियों के पिता,बहुमुखी प्रतिभा के धनी वे एक चिंतक,विचारक, कृषक,शिल्पकार,विद्वान कर्मकांडी ब्राह्मण एवं ज्योतिषी थे।राष्ट्रीय भावना से ओत _प्रोत उनका जीवन जिस पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक की विचारधारा का गहरा प्रभाव था । 

श्री महेंद्र कुमार श्रीधर शर्मा

मेरे पिताजी स्व. प्रोफेसर श्री महेंद्र कुमार श्रीधर का जन्म महू में पास ग्राम कोदरिया में 14 दिसम्बर 1948 में हुआ ।

शुरू से ही ओजस्वी ओर तेजस्वी होने के कारण उन्होंने खूब अध्ययन किया ।

गरीब परिस्थितियों के बावजुद मंदिरों में दियों के उजाले में पढ़ाई की ओर हर क्लास में अव्वल ही रहे और सम्पूर्ण परिवार और समाज मे प्रोफेसर बन के अपनी ख्याति फैलाई

श्री हरीश बाबूलाल पगारे

 श्री नार्मदीय ब्राह्मण समाज रायपुर (छ.ग.) के आन-बान-शान सक्रिय सहज सरल सहयोगी यशस्वी स्व. श्री हरीश जी पगारे पिता स्व.श्री बाबूलाल जी पगारे जन्मदिन ०३.०४.१९५७ प्रभूलीन १४.०९.१९८८ आप रायपुर विकास प्राधिकरण, रायपुर (छ.ग.) में स्टेनोग्राफर रहे अल्पायु में कुशाग्र तेजस्वी होने से देश के कोने-कोने में हवाई यात्रा की थी 

श्री श्रीहरी बाबूलाल जी पगारे

 .१९५५ - १९८२

नार्मदीय ब्राह्मण समाज जबलपुर के लोकप्रिय समाजसेवी सरल ह्रदय सदैव आनन्दमयी हँसमुख सर्वहितकारी स्व. श्री श्रीहरी जी पगारे (नन्हूभाई) पिता स्व.श्री बाबूलाल जी पगारे जन्मदिन ०१.०१.१९५५ प्रभूलीन १९.०१.१९८२ आपने धमनोद से इलेक्ट्रॉनिक विषय में आईटीआई की भिलाई स्टील प्लांट में कार्यरत रहे थे

श्रीमती सेवन्ती बाई बाबूलाल पगारे


पूज्यनीय पुण्यकीर्तिमय देवी माँ नर्मदा स्मरणीय नार्मदीय ब्राह्मण समाज खरगोन के प्रसिद्ध वकील स्व. नारायण शुक्ला की लाडली बेटी स्व. अ.सौ.सेवन्ती बाई पगारे पति स्व. श्री बाबूलाल जी पगारे जन्मदिन नामालूम लगभग १९३५ प्रभूलीन नवरात्रि दूज १९६७ आप अत्यंत सौम्य ह्रदय स्पर्शी मिलनसार भक्तिमान्यः साधनारत कुशल हार्मोनियम वादक भक्तिपूर्ण गायन शैली की धनी सिलाई-कटाई शिक्षाविद् गौसेवक सहज सरल सहयोगी समाजसेवी सादर शत् शत् नमन |

श्री बाबूलाल गेंदालाल पगारे

प्रातः वंदनीय पुण्यमयी देवी नर्मदा तट रावेरखेड़ी, के पास प्रसिद्ध निमाड़ में महासतिमाता के ग्राम- बड़गाँव टाकली के भक्तिमान्यः नार्मदीय ब्राह्मण समाज के श्रद्धा-भक्ति से जीवनपर्यन्त प्रतिदिन नित्यकर्म भगवदाराधन, श्री विष्णुसहस्त्रनाम पाठ, जगतगुरू आदि शंकराचार्य विरंचितम् नर्मदाष्टक पाठ, देवपूजन "स्व. श्री बाबूलाल पगारे" पिता स्व. श्री गेंदालाल पगारे मध्यप्रदेश खनिज कर्म विभाग से सेवानिवृत्त

श्री विनायकराव जी गीते

स्व. विनायकराव जी गीते मूल निवास  सुलगांव त.  पुनासा जिला खंडवा का स्मरण आता है जिनका आदर्श जीवन हमारे परिवार के लिए प्रेरणादायक रहा है । उनका जन्म संभवतः  सन 1906 में हुआ, वे तीन भाइयों में सबसे बड़े थे । धीर गंभीर प्रकृति के धनी वे अनुशासनप्रिय, सिद्धांत प्रिय , न्यायप्रिय,पारिवारिक एवं सामाजिक व्यक्ति थे  परोपकार एवं सेवा भावना से उनका जीवन ओत प्रोत रहा ।

श्री विजय रामकृष्ण बक्षी

हमारे पिता (स्व.) प. पू. श्री विजय बक्षी की जिन्हें हम बच्चे "दादा" कहा करते हैं! हमारे प. पू. दादाजी व दादीजी के तीन सुपुत्रों में से सबसे छोटे सुपुत्र हमारे पिता रहे जिनका जन्म दि.03 फरवरी 1941 को हुआ! प्रारंभिक शिक्षा धार म. प्र. में हुई व इंटरमीडिएट आदर्श नूतन विध्यालय, इंदौर म.प्र. से किया तत्पश्चात् बी.एस. सी. गुजराती साईंस काॅलेज,इंदौर से पूर्ण करने के बाद डिप्लोमा इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में खुरई तथा श्री वैष्णव पोलीटेक्निक, इंदौर से किया!

श्रीमती शकुन्तला रामकृष्ण बक्षी

हमारी दादीजी (स्व.) पू. श्रीमती शकुन्तला बक्षी "मांडवगढ़" धार, म.प्र. के प्रसिद्ध रेंजर (स्व.) पू. श्री बद्रीप्रसादजी शर्मा की सात सुपुत्रीयों में तीसरे नं. की सुपुत्री थी! मांडव के विश्व प्रसिद्ध "गाईड" (स्व.) पू. श्री विश्वनाथजी शर्मा दादीजी के सगे काका थे! 

श्री रामकृष्ण बक्षी

हमारे परदादा (स्व.) पू.श्री राजारामजी बक्षी पैतृक गाँव - फूल पिपल्या (खंडवा, म.प्र. के  पास हरसूद रोड़ पर) के निवासी रहे, जिनकी एकमात्र संतान हमारे दादाजी (स्व.) पू. श्री रामकृष्ण बक्षी थे जिन्हें हम सब "बाबूजी" कहते थे! बाल्यावस्था में ही माता-पिता के स्वर्गवास के पश्चात् इनका लालन-पालन इनकी नानीं ने किया जो उस समय नर्मदा किनारे स्थित ओम् कारेश्वर मंदिर के पास ही रहती थी और "भोगण माय" के नाम से प्रसिद्ध थी, चूंकि ओम् कारेश्वर भगवान को प्रातःकाल सबसे पहले भोग "प.पू. नानीजी" ही लगाती थी |

श्रीमती पार्वतीबाई नारायण रावजी शुक्ल

श्रीमती पार्वतीबाई नारायणरावजी  शुक्ल

1906 - 1992

गोत्र कश्यप

खरगोन जिले के भीकनगांव तहसील में खुड़गावँ नामक एक कस्बा है।वहां पर श्यामरावजी बिल्लोरे नाम से एक  पटवारीजी थे।अच्छी खासी जमीन के मालिक थे।आसपास के गांवों में उनकी धाक जमी हुई थी।उनकी तीन पुत्रियाँ और एक पुत्र थे।

श्रीमती दमयंती बाई पुरे

हमारी माताजी स्वर्गीय दमयंती बाई पुरे  का जन्म माण्डव के पास नालछा में 1930के लगभग हुआ था हमारे नाना दामोदर राव शर्मा  महू में टेलरीग क्षेत्र में प्रसिद्ध रहे   

श्री मुरलीधर हीरालालजी पुरे

स्व.  मुरलीधर पुरे (हमारे पिताजी ) जिनका जन्म 1920 में निमाड़ के पालसुद गांव में हुआ था दादा जी हीरालाल पुरे पेशे से पटवारी रहे किन्तु बड़े तपोनिषट साधु जीवन वाले रहे  हमारे पिताजी की प्रारंभिक शिक्षा मणडलेशवर  में हुई थी | 1936 मे इन्दौर आगये महाराजा शिवाजी राव से मेट्रीक किया था 1944 में  हमारी बाई दमयंती बाई से विवाह हुआ था  चार पुत्री एवं दो पुत्र हुए |

करीब 40 वर्ष म प्र वि म में सेवा कर 80 मे रिटायर हुए  पिताजी सादा जीवन उच्च विचार के रहे  बेहंद ईमानदार  सत्यवादि रहे|  पिताजी ने संगीत एवं चित्र कारी की शिक्षा ली थी  आजीवन शौक रहा मिट्टी के गणपति बनाने में सिद्ध हस्त थे   मोहल्ले में एवं रिश्ते दारो  के आग्रह पर  मूर्ति तो का निर्माण करते थे  आजीवन घूमने का शौक रहा  90 वर्ष की आयु में 2010 मे28 दिसम्बर को  प्रात  संसार से विदा लीं  परिवार को सदा सर्वदा याद रहेंगे  

 श्रध्दा सुमन समर्पित।  हरीओम

( प्रदीप पुरे )

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murlidhar ji purey pure

श्रीमती शारदा सुरेश चंद्र नारमदेव

1936 - 2006 

मेरी माताजी श्रीमती शारदा नारमदेव का जन्म खरगोन के ख्यात नाम वकील श्री नारायण राव शुक्ल के यहाँ हुआ । उनकी माताजी श्रीमती पार्वती शुक्ल थीं।

 विवाह श्री सुरेश चंद्र नारमदेव जी के साथ हुआ जोकि धार निवासी थे ।

श्री सुरेश चंद्र बाबूराव नारमदेव

श्री सुरेश चंद्र नारमदेव आत्मज स्व. श्री बाबूराव नारमदेव
गौत्र भारद्वाज 
1925 - 2015

आप (मेरे पिताजी  ) एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व थे।  शिक्षाविद थे कवि ह्र्दय थे और शरीर सौष्ठव पर भी अभ्यास रत रहते थे । गायत्री जप तप को लेकर उनकी गजब की निष्ठा और विश्वास था, जीवन पर्यंत गायत्री मंत्र साधना करते रहे ।