श्रद्धांजलि में सर्च कीजिये

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श्री विजय रामकृष्ण बक्षी

हमारे पिता (स्व.) प. पू. श्री विजय बक्षी की जिन्हें हम बच्चे "दादा" कहा करते हैं! हमारे प. पू. दादाजी व दादीजी के तीन सुपुत्रों में से सबसे छोटे सुपुत्र हमारे पिता रहे जिनका जन्म दि.03 फरवरी 1941 को हुआ! प्रारंभिक शिक्षा धार म. प्र. में हुई व इंटरमीडिएट आदर्श नूतन विध्यालय, इंदौर म.प्र. से किया तत्पश्चात् बी.एस. सी. गुजराती साईंस काॅलेज,इंदौर से पूर्ण करने के बाद डिप्लोमा इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में खुरई तथा श्री वैष्णव पोलीटेक्निक, इंदौर से किया!

श्रीमती शकुन्तला रामकृष्ण बक्षी

हमारी दादीजी (स्व.) पू. श्रीमती शकुन्तला बक्षी "मांडवगढ़" धार, म.प्र. के प्रसिद्ध रेंजर (स्व.) पू. श्री बद्रीप्रसादजी शर्मा की सात सुपुत्रीयों में तीसरे नं. की सुपुत्री थी! मांडव के विश्व प्रसिद्ध "गाईड" (स्व.) पू. श्री विश्वनाथजी शर्मा दादीजी के सगे काका थे! 

श्री रामकृष्ण बक्षी

हमारे परदादा (स्व.) पू.श्री राजारामजी बक्षी पैतृक गाँव - फूल पिपल्या (खंडवा, म.प्र. के  पास हरसूद रोड़ पर) के निवासी रहे, जिनकी एकमात्र संतान हमारे दादाजी (स्व.) पू. श्री रामकृष्ण बक्षी थे जिन्हें हम सब "बाबूजी" कहते थे! बाल्यावस्था में ही माता-पिता के स्वर्गवास के पश्चात् इनका लालन-पालन इनकी नानीं ने किया जो उस समय नर्मदा किनारे स्थित ओम् कारेश्वर मंदिर के पास ही रहती थी और "भोगण माय" के नाम से प्रसिद्ध थी, चूंकि ओम् कारेश्वर भगवान को प्रातःकाल सबसे पहले भोग "प.पू. नानीजी" ही लगाती थी |