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श्री जयनारायण शोभारामजी गीते

श्री जयनारायण शोभारामजी गीते मूल निवास ब्राम्हणगांव त.  ठीकरी जिला बड़वानी का स्मरण आता है जिनका आदर्श जीवन हमारे परिवार के लिए प्रेरणादायक रहा है । उनका जन्म ब्राम्हणगांव (दवाना) मे सन् 09/041934 में हुआ, वे दो भाइयों में छोटे थे । धीर गंभीर प्रकृति के धनी वे अनुशासनप्रिय, सिद्धांत प्रिय पारिवारिक एवं  कर्मकाण्ड सध्यां पुजा   परोपकार एवं सेवा भावना से उनका जीवन ओत प्रोत रहा । उनके माता पिता का निधन उनके बाल्या अवस्था में ही होने से परवरिश बड़े भाई ने किया व अध्ययन के लिए माड़वगड़ (धार) गुरुकुल भेजा गया जहां प्राथमिक शिक्षा व संस्कृत भाषा व कर्मकाड की शिक्षा पूर्ण कर वहीं पर आचार्य बने व शिक्षा विभाग में सर्विस गुरुकुल में ही प्रारंभ की नोकरी ज्वाईन करने के लिए सन् 1954 में वे नर्मदा नदी पार कर  धरमपुरी होते हुवे पैदल ही माडव पहुंच गये 22 वर्ष मांडव में रहने के बाद सन् 1969 उनका स्थानांतरण बड़वाह स्थित शासकीय संस्कृत विद्यालय में प्रधान अध्यापक के पद पर हुवा व बड़वाह में अपने 4 बच्चो सहित बड़वाह में निवास किया

 वे अपने काम से बहुत प्रेम करते थे । मैंने उन्हें कभी क्रोधित होते हुए नहीं देखा न ही उन्होंने किसी को प्रताड़ित किया , बड़वाह एवम् समाज में पंड़ितजी वह गुरूजी के नाम से पहचाना जाता था । प्रतिदिन सुबह नागेश्वर मंदिर जाना एवम् हनुमानजी

का पाठ व अभिषेक पुजन  करते थे उनके सानिध्य में बड़वाह के संस्कत विद्यालय में विप्र जनों ने अध्ययन कर कर्मकाण्ड सिखा व आज भी उनके शिष्य आजीविका चला रहे  वे अपने कर्त्तव्यों से विचलित नहीं होते थे  । हर छोटे बड़े को वे यथोचित सम्मान देते थे ।वै कन्या का आरद सम्मान करते थै तो वे स्वयं उनके पैर छूते थे उनका यह व्यवहार प्रेरणास्पद एवम् अनुकरणीय था । उनके व्यक्तित्व के प्रभाव से आज भी मेरा परिवार प्रेम  के सूत्र में बंधा हुआ है। जीवन के उत्तरार्ध में भी वै कर्म के प्रति जागरूक रहे 1994 में सेवा निवृत्त होने के बाद भी कर्मकाड उनकी रूची बनी रही  स्वास्थ्य  में नर्म गर्म  हुआ करता था बुखार एवम् प्रोस्ट्रेट के कारण वो निरन्तर उनका स्वास्थ गिरता रहा व 15 फरवरी 2010 को 77 वर्ष की आयु में निधन हो गया 

बस यादें  ही  बाकि है मेरी आंखे नम हो रही है मुझे ऐसा लगा कि शायद वे   जल्दी चले गए वे अधिक उम्र तक जीवित रहते तो यह परिवार के लिए लाभकारी होता। फिर भी  विधाता के आगे कोई नहीं है जो भी समय हमारे साथ रहे उनका आशीर्वाद पहले भी था व आज भी है । 

ऐसे   पुण्य आत्मा का स्मरण पर विनम्र भावभीनी श्रद्धांजलि। शत शत नमन ।स्मरण 

 पवन गीते एवं समस्त गीते परिवार ।

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(Jaynarayan geete)


श्री बलराम हरिभाऊ गीते

      मेरे पिता स्व . श्रीबलराम जी हरिभाऊजी गीते मूल निवास . सुलगांव तेह. पुनासा जिला. खंडवा का जन्म सन् 1911 में हुआ ।पांच बेटे दो बेटियों के पिता,बहुमुखी प्रतिभा के धनी वे एक चिंतक,विचारक, कृषक,शिल्पकार,विद्वान कर्मकांडी ब्राह्मण एवं ज्योतिषी थे।राष्ट्रीय भावना से ओत _प्रोत उनका जीवन जिस पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक की विचारधारा का गहरा प्रभाव था । 

श्री विनायकराव जी गीते

स्व. विनायकराव जी गीते मूल निवास  सुलगांव त.  पुनासा जिला खंडवा का स्मरण आता है जिनका आदर्श जीवन हमारे परिवार के लिए प्रेरणादायक रहा है । उनका जन्म संभवतः  सन 1906 में हुआ, वे तीन भाइयों में सबसे बड़े थे । धीर गंभीर प्रकृति के धनी वे अनुशासनप्रिय, सिद्धांत प्रिय , न्यायप्रिय,पारिवारिक एवं सामाजिक व्यक्ति थे  परोपकार एवं सेवा भावना से उनका जीवन ओत प्रोत रहा ।