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श्रीमती इंद्रावती भाटे

जन्म 01-01-1935
मोक्ष 12 -05 -2015

मेरी माताजी श्रीमती इंद्रावती भाटे का जन्म खरगोन के सभ्रांत परिवार में श्री नारायण शुक्ल वकील के यहाँ हुआ। कम उम्र में विवाह श्री नर्मदा शंकर भाटे जी से हुआ ।

उनकी उम्र 18 साल थी जब मेरा जन्म हुआ , माँ ने  ना सिर्फ मुझे पाल पोस कर बड़ा किया बल्कि नौकरी भी की। 1959 में उन्होंने शासकीय सेवा शिक्षक के रूप में जॉइन की। उस समय में जब महिलाओ के लिए नोकरी आसान नहीं होती थी, ना सिर्फ समाज से पर अपने परिवार से भी लड़ झगड़ कर नौकरी करी और मेरे लिए एक मां और बाप का रोल निभाया ।

अत्यंत धार्मिक और विदुषी महिला के रूप में उन्हें जाना गया । शिक्षण, संगीत, गायन , में महारत थी। गणित और सँस्कृत भाषा से लगाव ओर ज्ञान अत्यंत उत्कृष्ट था। जिनको भी उन्होंने पढ़ाया, आज भी सम्मान से याद करते हैं और गुणगान करते हैं। अपनी धार्मिकता और विश्वासों को उन्होंने अपने परिवार और नाती पोतों में बड़ी गहराई से रोपित किया।

उन्होंने यह भी बताया था कि थोड़े पैसे कमाने के लिए उन्होंने स्काउट और गाइड भी किया और काफी ज्यादा उम्र में स्काउट और गाइड किया । हमेशा गौरव से बोलती थी कि उन्होंने एक बहुत सुंदर घर बनाया । उस घर में ढेर सारे फल और फूल के पेड़ थे और उनका ज्यादातर समय गार्डन और मंदिर  में ही जाता था ।  माँ की एक बात और भी काफी अच्छी थी कि उन्होंने अपने आप को कभी खाली नहीं रखा उन्होंने अपने रिटायरमेंट के बाद भी घर का बड़ा हिस्सा किराए पर दिया था । किरायेदारों से परिवार सा व्यवहार और मकान की मरम्मत में व्यस्त रहती थीं। शिव भक्ति में रुचि रही घर पर ही एक शिव मंदिर की स्थापना की और वो उसकि सेवा आराधना किया करती थीं। 

पुण्य स्मरण और हार्दिक श्रद्धांजलि।

प्रवीण भाटे
(सुपुत्र)

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मेरी प्यारी दादी स्व.  इंद्रावती भाटे

मेरी सबसे पहली याद मेरी दादी के लिए तब थी जब वह मेरे लिए मेरे पापा से झगड़ कर मुझे ढेर सारा लाडक करती थी मेरी दादी के बारे में मुझे ज्यादा तो नहीं पता लेकिन जो भी सुना है वह एक बहुत ही कर्मठ और स्वाभिमानी महिला थी मेरी दादी का जन्म खरगोन में हुआ और जहां तक मुझे पता है जब वह कक्षा पांचवी में थी तब उनकी शादी मेरे दादा से हो गई मेरे दादा के बारे में मुझे बिल्कुल भी नहीं पता पर यह पता है कि वह हमारी जिंदगी में कभी नहीं थे । मेरी दादी टीचर थी जो संस्कृत और गणित पढ़ाती थी मेरी दादी की सोच अपने समय से कहीं ज्यादा आगे थी उन्होंने कभी अपने आप को किसी से कम नहीं समझा मुझे आगे जब मेरी दादी की उम्र करीब 65 साल थी तब उन्होंने अपना पासपोर्ट बनवाया और मेरी दादी की बहुत इच्छा थी कि वह मेरे पास अमेरिका आए मेरे साथ रहे मुझसे मिले मेरी दादी ने मेरा हमेशा साथ दिया और कभी-कभी मेरे गलत होने पर भी मेरा साथ दिया मेरी दादी रोज सुबह 5:00 5:30 बजे उठ जाती थी और रेडियो पर रामायण चला देती थी और मुझे सुबह-सुबह उनके कारण ही उतना अच्छा लगता है दादी और मैं काफी करीब थे और मैं जब भी अमेरिका में था दादी से हर रोज बात करता था दादी अपने दिन के बारे में बताती थी दवाइयों के बारे में बताती थी और मेरे बारे में जरूर पूछती थी कि मैं अच्छे से खा रहा हूं या रह रहा हूं कि नहीं दादी का प्यार सिर्फ और सिर्फ मेरे प्रति नही बल्कि  मेरी दोनों बहने और मम्मी पापा के प्रति भी था मुझे दो किस्से मेरी गाड़ी के बारे में बहुत अच्छे से याद है जो मैं आपके साथ बांटना चाहता हूं पहला किस्सा मेरी दादी को पैसा बचाना और नेगोशिएट करना बहुत अच्छा लगता है मुझे लगता है पैसा बचाना शायद मैंने अपनी दादी से ही सीखा मेरी दादी और मैं एक बार कालूराम रामा जी जो कि खरगोन के प्रसिद्ध कपड़े विक्रेता है वहां पर कपड़े खरीदने गए और दादी ने उनको बोला कि यह मेरा स्टूडेंट है और मैंने इसको पढ़ाया है तो यह मुझे डिस्काउंट देगा और कालू राम राम जी ने डिस्काउंट भी दिया अभी कालूराम रामा जी के सामने ही बोहरा की  जूते की दुकान थी भाई वहां पर भी बोलने लगी कि मैंने इसको भी स्कूल में पढ़ाया है कि यह मुझे डिस्काउंट देगा उस पर से मोहम्मद जो वहां पर काम करता था वह बोला दादी मैं तो मदरसे में पढ़ा था उस पर से दादी और मैं एक दूसरे की तरफ देखते हैं और दादी फिर भी उसे डिस्काउंट मांगती है और लेकर रहती है मोहम्मद भी खुशी-खुशी डिस्काउंट दे देता है

 दूसरा किस्सा दादी संस्कृत का, मेरी संस्कृत टीचर को हमेशा टोकती रहती थी और मेरे नंबर संस्कृत में हमेशा सामान्य ही रहे और जब भी मेरी संस्कृत टीचर मेरे सामान्य नंबर को देखती थी वह मुझे बोलती थी कि क्यों तुम्हारी दादी तुम को नहीं पढ़ाती पर मैं अपनी दादी को हमेशा यह समझा कर बोल देता था कि संस्कृत टीचर आप से जलती है सच तो यह था कि मेरी दादी काफी बूढ़ी हो चुकी थी और संस्कृत अलग तरीके से पढ़ाती पढ़ाई जाती थी एक अंग्रेजी विद्यालय में पर मेरी दादी ने मेरा साथ कभी नहीं छोड़ा और मुझे संस्कृत पढ़ने और सिखाने के लिए काफी समय बिताया।

  मेरी दादी ने एक प्यानो भी खरीदा और उसको बजाना, गीत गाना और समय के साथ लिखना कविता लिखना भी चालू किया वह मुझे बताती थी कि मेरे पिताजी ने मुझे वह कविता सुनाई,  यह संगीत मेरे पिताजी का है और मुझे काफी खुशी होती थी जानकर कि मेरी दादी काफी प्रतिभाशाली है । और नीति जो मेरी छोटी बहन है उसने भी मेरी दादी से बहुत कुछ सीखा और गायन और संगीत में रुचि दादी के कारण ही उसको आई।

 मेरी मम्मी ने मेरी दादी की खूब सेवा  करी मैं दादी को पत्र लिखता था अमेरिका से और वह भी मुझे पत्र लिखती थी जब मैं अमेरिका में पढ़ने गया आज यह उनके बारे में थोड़े शान याद करके मेरा हृदय में भी काफी यादें जाग गई लिखने के लिए तुम एक पूरी किताब लिख सकता हूं पर यह स्वर्णिम कुछ शब्द मेरी दादी के लिए मैं बोलना चाहूंगा 

I will always miss you 

on the day you left us behind

your home and your family.

When I hear your soft voice

echoing in my heart,

I  realise,

that you were never hidden from my eyes.

You are the pure awareness within my heart,

with you during joy and celebration,

suffering and despair.


ह्रदय गत श्रद्धांजलि

(भरत भाटे)

(smt Indravati Bhate, khargone)

1 comment:

  1. Bai, we will miss you. You are the most talented women I have ever met. I still remember that day when we went to collect 1000 rupees that I have earned by scoring 75 in Sanskrit. I thought I can buy a good watch with money but you told me to save it and let us open a savings account. That was my first earning and you helped me save it. You are the best teacher. Today I can do everything from gardening to saving dollars it all because of your teaching. Thank you for always being there. I miss you.Love : Radha

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