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श्री गौरीशंकर शर्मा "गौरीश"

श्री गौरीशंकर शर्मा "गौरीश"(मेरे पूज्य पिताजी)का जन्म कसरावद तहसील के ग्राम बलखड में वहां के जागीरदार स्व अमृतराव  कानूनगो के यहां 5/3/1931 को हुआ। कम उम्र में उनके पिताजी का निधन होने से कक्षा 7 वीं पास कर शिक्षक की नौकरी करली बाद में एम .ए . बी एड करने के बाद सहायक जिला शिक्षा अधिकारी के पद से सेवा निवृत्त हुए।

        बचपन से ही मां सरस्वती के आशीर्वाद से निमाड़ी कविताएं लिखने लग गए ओर सन् 1956 से 1998 तक आकाश वाणी द्वारा उनकी रचनाओं का सतत् प्रसारण हुआ। उनके द्वारा लिखित निमाड़ी की हो हो हर हर नरमदा माय ओर वीरपस  गीत  निमाड़ में लोक गीत के रूप में गाए जाने लगा है।

      उनके द्वारा रचित,रेवा की ल्यहर,निमाड़ी तुलसी दोहावली, गीता मानस जिसमें श्रीमद् भगवतगीता का निमाड़ी अनुवाद दोहा चौपाई में, नर्मदा पुराण निमाड़ी दोहा चौपाई में अनुवाद, सत्य नारायण की कथा प्रकाशित हो चुकी है साथ ही उनका हिंदी का कविता संग्रह प्रकाशित होना बाकी है। सरस्वती पुत्र पिताजी प्रकृति प्रेमी, श्रृंगार के कवि के साथ साथ मां नर्मदा के अनन्य भक्त थे।

   हम सभी भाई बहनों और गौरीश परिवार बलखड की और से सादर श्रद्धांजली और प्रणाम।

मोक्ष दिवस 09.09.2002

प्रकाश चन्द्र शर्मा, 

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Gaurishankar Sharma Gaurish


1 comment:

  1. निमाड़ और नार्मदीय समाज के गौरव कवि हृदय सरस्वती पुत्र को हार्दिक श्रद्धांजलि । उनकी प्रसिद्ध कविता की चार लाइने ---

    "हो हो हर हर नरबदा माई ओ
    तू तो मैकल की बेटी कवाई ओ
    विंध्य सतपुड़ा थारा दुइ भाई
    खम्बात छे थारी माई ओ"

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