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श्री दिनेश सीताराम जी शर्मा

श्री दिनेश शर्मा पिता श्री सीताराम जी शर्मा, मूल निवासी ग्राम टीही तहसील महू, जिला इन्दौर.।

पूज्य पिताजी का जन्म दिनांक 18 मार्च 1943 को देवास जिले के क्षिप्रा ग्राम में हुआ. दादाजी उस समय क्षिप्रा ग्राम में नाकेदार के पद पर कार्यरत थे, नाके बंद होने के बाद उन्हें अपने ही गाँव टीही के पास श्रीखंडी गाँव में शिक्षक का पदभार मिला और वहीं से वे सेवानिवृत्त हुए।


1955 से 1960 के समय में जूनी इन्दौर में किराये के मकान में रहते हुए अलग अलग नोकरी करते हुए पिताजी ने अपनी स्कूल की पढ़ाई की  तभी दादाजी ने बहुत साहस कर राज मोहल्ला में एक प्लाट खरीदा और इस पर घर बनाने के लिए स्वयं काम कर सहयोग किया. ये वो समय था जब राज मोहल्ला इन्दौर का कोना माना जाता था, यह मकान  टीही गाँव वालों के लिए एक मिसाल बना कि जब किसी गाँव वाले का इन्दौर में प्लाट नहीं था जब मारसाब का मकान था.।

पिताजी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई और उच्च शिक्षा के लिए वे इन्दौर आए जीवन के शुरू से ही आप आत्मनिर्भर रहे और अपने स्कूल, कालेज की पढ़ाई के साथ साथ कभी वैद्य खयाली रामजी के यहाँ नोकरी की कभी अखबार बांटने का काम कर तो कभी आईसक्रीम बेच कर अपनी छोटी छोटी आमदनी से अपने पिता का सहयोग किया 

इन्दौर के क्रिश्चियन कालेज से बी. काम. और आगे खंडवा के एस. एन. कालेज से एम. काम. की डिग्री हासिल की।

पहली सरकारी नौकरी मध्यप्रदेश शासन में सिंचाई विभाग में खंडवा में लगी और इस नौकरी के साथ साथ आपने बैंक की परीक्षा दी और भारतीय स्टेट बैंक में क्लर्क के पद से अपनी दूसरी और आखिरी सरकारी नौकरी की शुरुआत की।

बैंक में और परिवार में वे अपनी सुन्दर हस्तलिपि के कारण बहुत प्रसिद्ध हुए.।

अपनी कार्यशैली और कर्तव्यनिष्ठा से आप को जल्द ही एक सफल मेनेजर के रूप में प्रदेश की कई शाखाओं में अपनी सेवा देने का अवसर मिला.

बैंक में रहते हुए अपने कुशल व्यवहार से कई सफल व्यवसायी, अफसर, नेता, अभिनेता और समाज के लोगों में अपनी अलग पहचान बनाईं ।

बैंक में वे जादूगर के नाम से भी प्रसिद्ध हूए क्योंकि जादूगर आनंद के साथ आपने जादू के वैश्विक सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए यूरोप के देशों की यात्राएं की और अपने देश में भी बैंक के कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुतियों से सभी को अचंभित किया.. 

जीवन में अब एक ठहराव सा आने लगा और तभी बैंक ने आपको फिर एक नई चुनौती के लिए चुना वह शुरुआत थी बैंकों के कम्प्यूटरीकृत करने की.. इसके लिए आपको कई महीने हैदराबाद स्थित बैंक के ट्रेनिंग सेंटर में रहकर कंप्यूटर की भाषाओं को सिखने का मौका मिला और बाद में जोनल आफिस, भोपाल में सिनीयर मेनेजर के पद पर रहते हुए मध्यप्रदेश की पहली 26 शाखाओं को कम्प्यूटर से जोड़ा।

अपने पूरे जीवन में कई उपलब्धि हासिल करते हुए योग, अध्यात्म और पर्यावरण के लिए भी बहुत रुझान रहा ।

योगी के रूप में नियमित रूप से प्रातः 4 बजे ठंडे पानी से स्नान करने के बाद आसन करना फिर बगीचों मे जाकर हास्य क्लबों की स्थापना करना और जिम्मेदारी से उन्हें संचालित करना उनका शौक था ।

अध्यात्म के क्षेत्र में विपश्यना को आधार बना कर स्वयं कई 10 दिवसीय कोर्स जिसमें से एक गुरु जी श्री सत्यनारायण गोयनका जी के साथ कुछ 20 दिवसीय और कुछ 45 दिवसीय कोर्स पूरा कर ध्यान के चरम पद को हासिल किया साथ ही कितने ही लोगों को विपश्यना का मार्ग बता कर उनका उद्धार किया.

पर्यावरण के लिए सदैव प्रकृति के साथ ही रहना और जो कुछ भी प्रकृति से मिले उसे वापस लोटाने के उद्देश्य से काम करना, इसी कोशिश में 6 अप्रैल 2015 को आप ने अपनी आँखें, त्वचा के साथ अपनी सम्पूर्ण देह वैज्ञानिक अनुसंधान हेतु इन्दौर मेडिकल कॉलेज को सौंप दी और कई लोगों के लिए एक मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया.

अपने जीवन की गागर में सम्पूर्ण सागर को समेट कर उनके सम्पर्क में आने वाले हर व्यक्ति के हृदय में अपनी छाप छोड़ने वाले हमारे पूज्य पिताजी को हम अंतर्मन से श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं! 

नर्मदे हर 

अश्विन, अनुपमा, अक्षय शर्मा


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Dinesh chandra sharma

श्री सुरेश चंद्र जी शर्मा ,खरगोन

मेरे पिताजी श्री सुरेशचंद्र जी शर्मा, श्रीमती मनोरमा स्व श्री नारायण राव जी शर्मा की 7 सन्तानो में दुसरे नंबर पर श्री सुरेशचंद्र जी शर्मा का जन्म दिनांक 04/10/1949 (आश्विन शुक्ल दशमी )  को हुआ। उनकी प्राथमिक शिक्षा पैतृक गांव (झाकरुड़) तथा धरमपुरी (खुजावा) मे हुई। उन्होंने पॉलिटेक्निक सनावद से डिप्लोमा करने के बाद दूरसंचार विभाग (भारत संचार निगम लिमिटेड का पूर्ववर्ती) मे T T O के पद पर रायगढ़ (छत्तीसगढ़) मे नौकरी प्रारम्भ की। 

श्री गौरीशंकर शर्मा "गौरीश"

श्री गौरीशंकर शर्मा "गौरीश"(मेरे पूज्य पिताजी)का जन्म कसरावद तहसील के ग्राम बलखड में वहां के जागीरदार स्व अमृतराव  कानूनगो के यहां 5/3/1931 को हुआ। कम उम्र में उनके पिताजी का निधन होने से कक्षा 7 वीं पास कर शिक्षक की नौकरी करली बाद में एम .ए . बी एड करने के बाद सहायक जिला शिक्षा अधिकारी के पद से सेवा निवृत्त हुए।

        बचपन से ही मां सरस्वती के आशीर्वाद से निमाड़ी कविताएं लिखने लग गए ओर सन् 1956 से 1998 तक आकाश वाणी द्वारा उनकी रचनाओं का सतत् प्रसारण हुआ। उनके द्वारा लिखित निमाड़ी की हो हो हर हर नरमदा माय ओर वीरपस  गीत  निमाड़ में लोक गीत के रूप में गाए जाने लगा है।

      उनके द्वारा रचित,रेवा की ल्यहर,निमाड़ी तुलसी दोहावली, गीता मानस जिसमें श्रीमद् भगवतगीता का निमाड़ी अनुवाद दोहा चौपाई में, नर्मदा पुराण निमाड़ी दोहा चौपाई में अनुवाद, सत्य नारायण की कथा प्रकाशित हो चुकी है साथ ही उनका हिंदी का कविता संग्रह प्रकाशित होना बाकी है। सरस्वती पुत्र पिताजी प्रकृति प्रेमी, श्रृंगार के कवि के साथ साथ मां नर्मदा के अनन्य भक्त थे।

   हम सभी भाई बहनों और गौरीश परिवार बलखड की और से सादर श्रद्धांजली और प्रणाम।

मोक्ष दिवस 09.09.2002

प्रकाश चन्द्र शर्मा, 

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Gaurishankar Sharma Gaurish


श्री गजानन राव जी शर्मा मनावर

श्री गजानन राव जी शर्मा मनावर

मनावर का शर्मा परिवार निमाड़ में एक जाना पहचाना परिवार है मेरे पिताजी श्री गजानन राव पिता विष्णु राम जी के नाम से जाने जाते थे हमारा परिवार पहले बांकानेर में रहता था बाद में शिक्षा एवं स्वास्थ्य कारण से मनावर आकर रहने लगा

श्री महेंद्र कुमार श्रीधर शर्मा

मेरे पिताजी स्व. प्रोफेसर श्री महेंद्र कुमार श्रीधर का जन्म महू में पास ग्राम कोदरिया में 14 दिसम्बर 1948 में हुआ ।

शुरू से ही ओजस्वी ओर तेजस्वी होने के कारण उन्होंने खूब अध्ययन किया ।

गरीब परिस्थितियों के बावजुद मंदिरों में दियों के उजाले में पढ़ाई की ओर हर क्लास में अव्वल ही रहे और सम्पूर्ण परिवार और समाज मे प्रोफेसर बन के अपनी ख्याति फैलाई