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श्री बलराम हरिभाऊ गीते

      मेरे पिता स्व . श्रीबलराम जी हरिभाऊजी गीते मूल निवास . सुलगांव तेह. पुनासा जिला. खंडवा का जन्म सन् 1911 में हुआ ।पांच बेटे दो बेटियों के पिता,बहुमुखी प्रतिभा के धनी वे एक चिंतक,विचारक, कृषक,शिल्पकार,विद्वान कर्मकांडी ब्राह्मण एवं ज्योतिषी थे।राष्ट्रीय भावना से ओत _प्रोत उनका जीवन जिस पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक की विचारधारा का गहरा प्रभाव था । 

अपनी विचारधारा के प्रति वे बड़े दृढ़ थे विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने कभी उससे समझौता नहीं किया । यद्यपि वे सक्रिय राजनीति में नहीं रहे फिर भी मेरे ग्रह गांव में भारतीय जनसंघ आज की भा.ज, पा. के बीज  उन्होंने ही बोए । भा.ज. पा. के वे कट्टर समर्थक रहे,निर्भीकता एवम् निडरता उनके स्वभाव में रही । उन्हें अच्छा खाने अच्छा पहनने , घुड़सवारी एवं बैलगाड़ी चलाने का शौक रहा । घोड़े एवम् बैलो को  वे अपने हाथ से बनी हुई चीजों से श्रृंगारित करते थे । घर के सभी सदस्यों के लिए  वर्षभर उपयोग के लिए यज्ञोपवित नाप नप्ति के साथ घर पर ही बनाते थे । उनकी लिखावट सधी हुई एवम् मोती की तरह सुंदर थी । वे एक हुनर बाज  इंसान रहे,कोई कला उनसे अ छूती नहीं रही , चित्रकला, हस्तकला, शिल्पकला सबमें उनका दखल रहा । दो भाईयों के साथ संयुक्त परिवार मे रहते हुए अपने दायित्व का निर्वाह उन्होंने बखूबी किया । जीवन के अंतिम वर्षों में वे लकवाग्रस्त रहे एवम् 68 वर्ष की आयु  मे सूर्य के उत्तरायण होने पर 14 जनवरी1979 को  क्षौ र एवम् स्नान आदि से निवृत होकर बड़े सहज ढंग से उन्होंने इस संसार से विदा ली । पितृ पक्ष पर  परिवार के प्रति उनके त्याग एवम् सेवा का स्मरण करते हुए समस्त गीते परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि एवम् शत शत नमन ।                            

कल्याण गीते 

एवम् समस्त गीते परिवार 


Balram haribhau geete

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