अपनी विचारधारा के प्रति वे बड़े दृढ़ थे विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने कभी उससे समझौता नहीं किया । यद्यपि वे सक्रिय राजनीति में नहीं रहे फिर भी मेरे ग्रह गांव में भारतीय जनसंघ आज की भा.ज, पा. के बीज उन्होंने ही बोए । भा.ज. पा. के वे कट्टर समर्थक रहे,निर्भीकता एवम् निडरता उनके स्वभाव में रही । उन्हें अच्छा खाने अच्छा पहनने , घुड़सवारी एवं बैलगाड़ी चलाने का शौक रहा । घोड़े एवम् बैलो को वे अपने हाथ से बनी हुई चीजों से श्रृंगारित करते थे । घर के सभी सदस्यों के लिए वर्षभर उपयोग के लिए यज्ञोपवित नाप नप्ति के साथ घर पर ही बनाते थे । उनकी लिखावट सधी हुई एवम् मोती की तरह सुंदर थी । वे एक हुनर बाज इंसान रहे,कोई कला उनसे अ छूती नहीं रही , चित्रकला, हस्तकला, शिल्पकला सबमें उनका दखल रहा । दो भाईयों के साथ संयुक्त परिवार मे रहते हुए अपने दायित्व का निर्वाह उन्होंने बखूबी किया । जीवन के अंतिम वर्षों में वे लकवाग्रस्त रहे एवम् 68 वर्ष की आयु मे सूर्य के उत्तरायण होने पर 14 जनवरी1979 को क्षौ र एवम् स्नान आदि से निवृत होकर बड़े सहज ढंग से उन्होंने इस संसार से विदा ली । पितृ पक्ष पर परिवार के प्रति उनके त्याग एवम् सेवा का स्मरण करते हुए समस्त गीते परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि एवम् शत शत नमन ।
कल्याण गीते
एवम् समस्त गीते परिवार
Balram haribhau geete
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