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पं रामकृष्ण सिद्धेश्वर भट्ट

 रहटाकलां, जिला हरदा , में रघुसन्त कई समाधि पर जन्मे मूल निवासी पं रामकृष्ण सिद्धेश्वर भट्ट, 1914 में धोती लोटा ले कर इंदौर आए, कुशाग्र बालक प्रतिभा के बल पर संस्कृत और ज्योतिष का विद्वान बना। लार्ड रिपन के नाम पर स्थापित, बनारस विश्वविद्यालय  का गोल्ड मेडल मिला।

ज्योतिष विभाग के आचार्य, शासकीय महाविद्यालय इंदौर में नियुक्त हुए। सटीक भविष्यवाणी के कारण नगर सेठ हुकमचन्द व अन्य सभी मिल मालिक तथा बड़े व्यापारी आपसे ही परामर्श करते थे। आवश्यकता होने पर महाराज यशवंत राव होल्कर भी महल में आमंत्रित करते थे।

अब वे शास्रीजी के नाम से प्रसिद्ध हो गए थे।

नित्य 4 बजे उठ कर देवी के पाठ, शिव, विष्णु के स्तोत्र और गीता के 18 अध्याय, प्रतिदिन करना जो उन्हें कंठस्थ थे।

समय की पाबंदी उनकी विशेषता थी।  अपने पीछे बड़ी शिष्य परम्परा छोड़ कर गए। समाज के किसी भी व्यक्ति जो आया उसकी सहायता करते थे।

जन्म 26 अक्टूबर 1903

स्वर्गवास 27 जुलाई1979


Ramkrishna bhatt shastri

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