हमारी दादीजी (स्व.) पू. श्रीमती शकुन्तला बक्षी "मांडवगढ़" धार, म.प्र. के प्रसिद्ध रेंजर (स्व.) पू. श्री बद्रीप्रसादजी शर्मा की सात सुपुत्रीयों में तीसरे नं. की सुपुत्री थी! मांडव के विश्व प्रसिद्ध "गाईड" (स्व.) पू. श्री विश्वनाथजी शर्मा दादीजी के सगे काका थे!
पू. दादीजी एक कुशल गृहीणी के साथ ही रचनाधर्मि भी रहीं! अपने दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के पश्चात वे सिलाई - कढ़ाई के कार्य और मुख्य रूप से कपड़े के "बटुए", थैली आदि बनाती थी तथा सभी मिलने - जुलने वालो को उपहार स्वरूप देतीं रहती थी! घरेलु नुस्खे भी वे बहुत जानती थी और हमेशा मौसम के अनुसार घरेलु उपाय/दवाई तैयार कर के रखती थी! हम बच्चे गर्मी की छुट्टीयां उनके साथ ही बिताते और वे हमें लघु कहानियाँ सुनाती रहती थी!
दि.06 मई 2000 को "पू. दिल्ली बाई" ने अपने भौतिक शरीर को त्याग कर सूक्ष्म शरीर धारण किया!
आनन्द बक्षी
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shakuntala ramkrishna baxi
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