श्री बाबूलाल गेंदालाल पगारे
श्री विनायकराव जी गीते
स्व. विनायकराव जी गीते मूल निवास सुलगांव त. पुनासा जिला खंडवा का स्मरण आता है जिनका आदर्श जीवन हमारे परिवार के लिए प्रेरणादायक रहा है । उनका जन्म संभवतः सन 1906 में हुआ, वे तीन भाइयों में सबसे बड़े थे । धीर गंभीर प्रकृति के धनी वे अनुशासनप्रिय, सिद्धांत प्रिय , न्यायप्रिय,पारिवारिक एवं सामाजिक व्यक्ति थे परोपकार एवं सेवा भावना से उनका जीवन ओत प्रोत रहा ।
श्री विजय रामकृष्ण बक्षी
श्रीमती शकुन्तला रामकृष्ण बक्षी
हमारी दादीजी (स्व.) पू. श्रीमती शकुन्तला बक्षी "मांडवगढ़" धार, म.प्र. के प्रसिद्ध रेंजर (स्व.) पू. श्री बद्रीप्रसादजी शर्मा की सात सुपुत्रीयों में तीसरे नं. की सुपुत्री थी! मांडव के विश्व प्रसिद्ध "गाईड" (स्व.) पू. श्री विश्वनाथजी शर्मा दादीजी के सगे काका थे!
श्री रामकृष्ण बक्षी
हमारे परदादा (स्व.) पू.श्री राजारामजी बक्षी पैतृक गाँव - फूल पिपल्या (खंडवा, म.प्र. के पास हरसूद रोड़ पर) के निवासी रहे, जिनकी एकमात्र संतान हमारे दादाजी (स्व.) पू. श्री रामकृष्ण बक्षी थे जिन्हें हम सब "बाबूजी" कहते थे! बाल्यावस्था में ही माता-पिता के स्वर्गवास के पश्चात् इनका लालन-पालन इनकी नानीं ने किया जो उस समय नर्मदा किनारे स्थित ओम् कारेश्वर मंदिर के पास ही रहती थी और "भोगण माय" के नाम से प्रसिद्ध थी, चूंकि ओम् कारेश्वर भगवान को प्रातःकाल सबसे पहले भोग "प.पू. नानीजी" ही लगाती थी |
श्रीमती पार्वतीबाई नारायण रावजी शुक्ल
1906 - 1992
गोत्र कश्यप
खरगोन जिले के भीकनगांव तहसील में खुड़गावँ नामक एक कस्बा है।वहां पर श्यामरावजी बिल्लोरे नाम से एक पटवारीजी थे।अच्छी खासी जमीन के मालिक थे।आसपास के गांवों में उनकी धाक जमी हुई थी।उनकी तीन पुत्रियाँ और एक पुत्र थे।
श्रीमती दमयंती बाई पुरे
हमारी माताजी स्वर्गीय दमयंती बाई पुरे का जन्म माण्डव के पास नालछा में 1930के लगभग हुआ था हमारे नाना दामोदर राव शर्मा महू में टेलरीग क्षेत्र में प्रसिद्ध रहे
श्री मुरलीधर हीरालालजी पुरे
स्व. मुरलीधर पुरे (हमारे पिताजी ) जिनका जन्म 1920 में निमाड़ के पालसुद गांव में हुआ था दादा जी हीरालाल पुरे पेशे से पटवारी रहे किन्तु बड़े तपोनिषट साधु जीवन वाले रहे हमारे पिताजी की प्रारंभिक शिक्षा मणडलेशवर में हुई थी | 1936 मे इन्दौर आगये महाराजा शिवाजी राव से मेट्रीक किया था 1944 में हमारी बाई दमयंती बाई से विवाह हुआ था चार पुत्री एवं दो पुत्र हुए |
करीब 40 वर्ष म प्र वि म में सेवा कर 80 मे रिटायर हुए पिताजी सादा जीवन उच्च विचार के रहे बेहंद ईमानदार सत्यवादि रहे| पिताजी ने संगीत एवं चित्र कारी की शिक्षा ली थी आजीवन शौक रहा मिट्टी के गणपति बनाने में सिद्ध हस्त थे मोहल्ले में एवं रिश्ते दारो के आग्रह पर मूर्ति तो का निर्माण करते थे आजीवन घूमने का शौक रहा 90 वर्ष की आयु में 2010 मे28 दिसम्बर को प्रात संसार से विदा लीं परिवार को सदा सर्वदा याद रहेंगे
श्रध्दा सुमन समर्पित। हरीओम
( प्रदीप पुरे )
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murlidhar ji purey pure
श्रीमती शारदा सुरेश चंद्र नारमदेव
1936 - 2006
मेरी माताजी श्रीमती शारदा नारमदेव का जन्म खरगोन के ख्यात नाम वकील श्री नारायण राव शुक्ल के यहाँ हुआ । उनकी माताजी श्रीमती पार्वती शुक्ल थीं।
विवाह श्री सुरेश चंद्र नारमदेव जी के साथ हुआ जोकि धार निवासी थे ।
श्री सुरेश चंद्र बाबूराव नारमदेव
श्री सुरेश चंद्र नारमदेव आत्मज स्व. श्री बाबूराव नारमदेव
गौत्र भारद्वाज
1925 - 2015
आप (मेरे पिताजी ) एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व थे। शिक्षाविद थे कवि ह्र्दय थे और शरीर सौष्ठव पर भी अभ्यास रत रहते थे । गायत्री जप तप को लेकर उनकी गजब की निष्ठा और विश्वास था, जीवन पर्यंत गायत्री मंत्र साधना करते रहे ।