स्व. प्रोफेसर डॉ. विजयेन्द्र रामकृष्ण शास्त्री, ज्योतिष के मूर्धन्य विज्ञान एवं होल्कर स्टेट के विद्वत परिषद के आदरणीय आचार्य पं. रामकृष्ण शास्त्री के ज्येष्ठ पुत्र थे। डॉ. शास्त्री ने स्नातकोत्तर शिक्षा इंदौर से प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए उत्तीर्ण की। माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षा श्री वैष्णव स्कूल के प्रथम मेरिट विद्यार्थी के रूप में उत्तीर्ण की थी। होल्कर महाविद्यालय से रसायन शास्त्र विषय में एम.एससी. प्रथम स्थान के साथ उनीर्ण को और छात्रसंघ के निर्विरोध अध्यक्ष भी रहे। खेलों में भी सदैव उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। समस्त कठिन योगासन वे सहजता से कर लेते थे। डॉक्टरेट उपाधि कालांतर में विक्रम विश्वविद्यालय से प्राप्त की। सन् 1964 से उज्जयिनी की कर्मस्थली के रूप में चुनकर यहीं के होकर रह गए।
श्रीमती शारदा देवी उपाध्याय
श्री महादेव प्रसाद उपाध्याय
पं रामकृष्ण सिद्धेश्वर भट्ट
श्री गेंदालाल जी खेड़े
श्री गेंदालाल जी खेड़े
जन्म सन् 1906
स्वर्गवास 26 -01-1994
गोत्र - मुदगिल
मूल निवासी - ग्राम रहाड़कोट तह. बड़वाह जिला खरगोन
सन् 1906 में श्री गेंदालाल जी का जन्म हुआ आपके पिताजी का नाम श्री तुकारामजी खेड़े एवं माता का नाम श्रीमती घीसी बाई था। आप अपने पिता की चौथी सन्तान थे। आपका विवाह खण्डवा निवासी श्री रामरतन जी साध की बेटी गंगा बाई के साथ हुआ था।
आप पैतृक पटवारी पद पर रहे, सन् 1962 में मध्यप्रदेश शासनकाल में राजस्व निरीक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए।
आप शुरू से ही बड़े ही मेहनती, कर्मठ, ईमानदार एवं स्वाभिमानी थे। आपने अपनी जिम्मेदारियों को बहुत ही अच्छी तरह से निभाया।
आपकी बहन जो असमय ही विधवा हो गई थी उन्हें व उनके 5 बच्चों को 20 वर्ष तक आपने अपने पास रख कर देखभाल की और उन्हें पढ़ा लिखा कर काबिल बनाया।
आप अपने सामर्थ्य के अनुसार हमेशा सब की मदद के लिए तत्पर रहते थे।
आप भरेपूरे परिवार के मुखिया थे, जिसमें चार पुत्र और तीन पुत्रियाँ है और नाती पोती से भरापूरा परिवार है।
मुझे भी अपने दादाजी का बहुत स्नेह और लाड़ मिला और जीवनोपयोगी बहुत सी बातें सीखने को मिली।
26 जनवरी 1994 तिथि - पौष शुक्लपक्ष चतुर्दशी को आपका स्वर्गवास हो गया।
पूज्यनीय दादाजी को शत शत नमन....
श्रीमती रीना अश्विन शुक्ला
( पोती )
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Gendalal khede
श्रीमती गिरिजा सोहनी
श्रीमती गिरिजा सोहनी पत्नी स्व रामनारायण सोहनी एवं पुत्री स्व श्री गौरीशंकर जी शर्मा झाकरूड।
गोत्र :- वत्स
जन्म दिनांक :- 01/01/1933
शिक्षा प्रारम्भिक पुण्य
तिथि 20, सितम्बर,2019
श्री रामनारायण जी सोहनी
श्री रामनारायण जी सोहनी सुपुत्र श्री स्व पंडित शिवलालजी सोहनी मूलनिवासी ग्राम, घुघरियाखेडी वत्स गोत्र जन्म 1924 शिक्षा बीए.एलएल.बी
पुण्य तिथि :- 12/5/95
श्री दिनेश सीताराम जी शर्मा
पूज्य पिताजी का जन्म दिनांक 18 मार्च 1943 को देवास जिले के क्षिप्रा ग्राम में हुआ. दादाजी उस समय क्षिप्रा ग्राम में नाकेदार के पद पर कार्यरत थे, नाके बंद होने के बाद उन्हें अपने ही गाँव टीही के पास श्रीखंडी गाँव में शिक्षक का पदभार मिला और वहीं से वे सेवानिवृत्त हुए।
1955 से 1960 के समय में जूनी इन्दौर में किराये के मकान में रहते हुए अलग अलग नोकरी करते हुए पिताजी ने अपनी स्कूल की पढ़ाई की तभी दादाजी ने बहुत साहस कर राज मोहल्ला में एक प्लाट खरीदा और इस पर घर बनाने के लिए स्वयं काम कर सहयोग किया. ये वो समय था जब राज मोहल्ला इन्दौर का कोना माना जाता था, यह मकान टीही गाँव वालों के लिए एक मिसाल बना कि जब किसी गाँव वाले का इन्दौर में प्लाट नहीं था जब मारसाब का मकान था.।
पिताजी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई और उच्च शिक्षा के लिए वे इन्दौर आए जीवन के शुरू से ही आप आत्मनिर्भर रहे और अपने स्कूल, कालेज की पढ़ाई के साथ साथ कभी वैद्य खयाली रामजी के यहाँ नोकरी की कभी अखबार बांटने का काम कर तो कभी आईसक्रीम बेच कर अपनी छोटी छोटी आमदनी से अपने पिता का सहयोग किया
इन्दौर के क्रिश्चियन कालेज से बी. काम. और आगे खंडवा के एस. एन. कालेज से एम. काम. की डिग्री हासिल की।
पहली सरकारी नौकरी मध्यप्रदेश शासन में सिंचाई विभाग में खंडवा में लगी और इस नौकरी के साथ साथ आपने बैंक की परीक्षा दी और भारतीय स्टेट बैंक में क्लर्क के पद से अपनी दूसरी और आखिरी सरकारी नौकरी की शुरुआत की।
बैंक में और परिवार में वे अपनी सुन्दर हस्तलिपि के कारण बहुत प्रसिद्ध हुए.।
अपनी कार्यशैली और कर्तव्यनिष्ठा से आप को जल्द ही एक सफल मेनेजर के रूप में प्रदेश की कई शाखाओं में अपनी सेवा देने का अवसर मिला.
बैंक में रहते हुए अपने कुशल व्यवहार से कई सफल व्यवसायी, अफसर, नेता, अभिनेता और समाज के लोगों में अपनी अलग पहचान बनाईं ।
बैंक में वे जादूगर के नाम से भी प्रसिद्ध हूए क्योंकि जादूगर आनंद के साथ आपने जादू के वैश्विक सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए यूरोप के देशों की यात्राएं की और अपने देश में भी बैंक के कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुतियों से सभी को अचंभित किया..
जीवन में अब एक ठहराव सा आने लगा और तभी बैंक ने आपको फिर एक नई चुनौती के लिए चुना वह शुरुआत थी बैंकों के कम्प्यूटरीकृत करने की.. इसके लिए आपको कई महीने हैदराबाद स्थित बैंक के ट्रेनिंग सेंटर में रहकर कंप्यूटर की भाषाओं को सिखने का मौका मिला और बाद में जोनल आफिस, भोपाल में सिनीयर मेनेजर के पद पर रहते हुए मध्यप्रदेश की पहली 26 शाखाओं को कम्प्यूटर से जोड़ा।
अपने पूरे जीवन में कई उपलब्धि हासिल करते हुए योग, अध्यात्म और पर्यावरण के लिए भी बहुत रुझान रहा ।
योगी के रूप में नियमित रूप से प्रातः 4 बजे ठंडे पानी से स्नान करने के बाद आसन करना फिर बगीचों मे जाकर हास्य क्लबों की स्थापना करना और जिम्मेदारी से उन्हें संचालित करना उनका शौक था ।
अध्यात्म के क्षेत्र में विपश्यना को आधार बना कर स्वयं कई 10 दिवसीय कोर्स जिसमें से एक गुरु जी श्री सत्यनारायण गोयनका जी के साथ कुछ 20 दिवसीय और कुछ 45 दिवसीय कोर्स पूरा कर ध्यान के चरम पद को हासिल किया साथ ही कितने ही लोगों को विपश्यना का मार्ग बता कर उनका उद्धार किया.
पर्यावरण के लिए सदैव प्रकृति के साथ ही रहना और जो कुछ भी प्रकृति से मिले उसे वापस लोटाने के उद्देश्य से काम करना, इसी कोशिश में 6 अप्रैल 2015 को आप ने अपनी आँखें, त्वचा के साथ अपनी सम्पूर्ण देह वैज्ञानिक अनुसंधान हेतु इन्दौर मेडिकल कॉलेज को सौंप दी और कई लोगों के लिए एक मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया.
अपने जीवन की गागर में सम्पूर्ण सागर को समेट कर उनके सम्पर्क में आने वाले हर व्यक्ति के हृदय में अपनी छाप छोड़ने वाले हमारे पूज्य पिताजी को हम अंतर्मन से श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं!
नर्मदे हर
अश्विन, अनुपमा, अक्षय शर्मा
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Dinesh chandra sharma