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श्री विजय रामकृष्ण बक्षी

हमारे पिता (स्व.) प. पू. श्री विजय बक्षी की जिन्हें हम बच्चे "दादा" कहा करते हैं! हमारे प. पू. दादाजी व दादीजी के तीन सुपुत्रों में से सबसे छोटे सुपुत्र हमारे पिता रहे जिनका जन्म दि.03 फरवरी 1941 को हुआ! प्रारंभिक शिक्षा धार म. प्र. में हुई व इंटरमीडिएट आदर्श नूतन विध्यालय, इंदौर म.प्र. से किया तत्पश्चात् बी.एस. सी. गुजराती साईंस काॅलेज,इंदौर से पूर्ण करने के बाद डिप्लोमा इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में खुरई तथा श्री वैष्णव पोलीटेक्निक, इंदौर से किया! अपने उद्देश्यों के प्रति समर्पण,लगनशीलता होने से प्रत्येक कार्य को बहुत गंभीरतापूर्वक व धैर्य के साथ करते थे, युवावस्था में अपनी पढा़ई करने के साथ ही साथ स्वयं के जेब खर्च के लिए नौकरी भी  करी! इलेक्ट्रिकल में डिप्लोमा करने के बाद उनकी म.प्र.वि.म. में सरकारी नियुक्ति हो गई किंतु उन्हें नौकरी करने में विशेष रुचि नहीं थी वे स्वयं का उद्योग करना चाहते थे और छह माह बाद ही सरकारी नौकरी छोड़ दी! 

स्वयं के निर्णय के प्रति दृढ़ संकल्पित होना ही उनका मूल स्वभाव रहा है और इसीलिए सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने इंडस्ट्रियल एस्टेट पोलोग्राउंड स्थित एक प्रायवेट कं. IAHA में नौकरी की कुछ समय पश्चात इसी कं. को किराये पर चलाया! 

दि.08 मार्च 1990 बुधवार को हमारे प.पू. पिताजी ने स्वयं के उद्योग "मेसर्स प्राईमा इण्डस्ट्रीज़" की स्थापना की और उत्तरोत्तर

उन्नति करते हुये सफलता के शिखर पर पहुँचाया! उद्योग जगत में आज भी उनका नाम म.प्र. के सफलतम व अनुभवी उद्योगपतियों में लिया जाता है! उनकी प्रसिद्धि का अंदाज़ा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उन्हें "Pioneer of the Industrial Ovens" कहा जाता है! 

अपने उद्योग की व्यस्तता के बावजूद वे सामाजिक व पारिवारिक जिम्मेदारीयों के प्रति भी उतनें ही सजग रहे तथा हमेशा लोगों की सहायता के लिए भी तत्पर रहे! 

 उनके स्वभाव की एक विशेषता यह भी रही की वे बहुत कम शब्दों व नपी तुली भाषा में अपनी बात रखते थे! 

कर्मठता व पुरुषार्थ के धनी हमारे प. पू. पिताजी ने दि.12 मार्च 2016 को अपने भौतिक शरीर को त्याग कर सूक्ष्म शरीर धारण किया! 

(आनंद बक्षी )

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vijay ramkrishna baxi, 

2 comments:

  1. मेरी बैंक से दादा की फैक्ट्री पास ही थी, चाहे जब चले जाते थे नया क्या है वो बताते थे ।
    बेहतरीन स्पेशल चाय का इंतजार पूरा होता और चुस्कियों के गप्पे अनवरत।
    उनके व्यक्तित्व मे सरलता, बुद्धिमानी औऱ परिश्रम का बेजोड़ संगम था। बनावटीपन से कोसों दूर, मुक्त हास्य से भरपूर।
    दादा को ह्र्दय से प्रणाम श्रद्धांजलि।

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  2. 🙏🙏🙏🙏
    अद्भुत व्यक्तित्व के धनी मुझसे बहुत सी बात शेयर करते थे
    विनम्र श्रद्धांजलि
    🙏🙏🙏🙏

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