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श्री पाण्डुरंग रामलाल सराफ बर्सले


 स्व. श्री पाण्डुरंग पिता श्री रामलाल सराफ बर्सले टिमरनी ।

1932   2006 

टिमरनी समाज के स्थंम्भ रहे ,सरल  उदार जरूरत मंद की सहायता मे हमेशा तत्तपर ।पुत्र  

मनोहर बर्सले टिमरनी ।

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Pandurang ramlal saraf barsle

श्री जयनारायण शोभारामजी गीते

श्री जयनारायण शोभारामजी गीते मूल निवास ब्राम्हणगांव त.  ठीकरी जिला बड़वानी का स्मरण आता है जिनका आदर्श जीवन हमारे परिवार के लिए प्रेरणादायक रहा है । उनका जन्म ब्राम्हणगांव (दवाना) मे सन् 09/041934 में हुआ, वे दो भाइयों में छोटे थे । धीर गंभीर प्रकृति के धनी वे अनुशासनप्रिय, सिद्धांत प्रिय पारिवारिक एवं  कर्मकाण्ड सध्यां पुजा   परोपकार एवं सेवा भावना से उनका जीवन ओत प्रोत रहा । उनके माता पिता का निधन उनके बाल्या अवस्था में ही होने से परवरिश बड़े भाई ने किया व अध्ययन के लिए माड़वगड़ (धार) गुरुकुल भेजा गया जहां प्राथमिक शिक्षा व संस्कृत भाषा व कर्मकाड की शिक्षा पूर्ण कर वहीं पर आचार्य बने व शिक्षा विभाग में सर्विस गुरुकुल में ही प्रारंभ की नोकरी ज्वाईन करने के लिए सन् 1954 में वे नर्मदा नदी पार कर  धरमपुरी होते हुवे पैदल ही माडव पहुंच गये 22 वर्ष मांडव में रहने के बाद सन् 1969 उनका स्थानांतरण बड़वाह स्थित शासकीय संस्कृत विद्यालय में प्रधान अध्यापक के पद पर हुवा व बड़वाह में अपने 4 बच्चो सहित बड़वाह में निवास किया

 वे अपने काम से बहुत प्रेम करते थे । मैंने उन्हें कभी क्रोधित होते हुए नहीं देखा न ही उन्होंने किसी को प्रताड़ित किया , बड़वाह एवम् समाज में पंड़ितजी वह गुरूजी के नाम से पहचाना जाता था । प्रतिदिन सुबह नागेश्वर मंदिर जाना एवम् हनुमानजी

का पाठ व अभिषेक पुजन  करते थे उनके सानिध्य में बड़वाह के संस्कत विद्यालय में विप्र जनों ने अध्ययन कर कर्मकाण्ड सिखा व आज भी उनके शिष्य आजीविका चला रहे  वे अपने कर्त्तव्यों से विचलित नहीं होते थे  । हर छोटे बड़े को वे यथोचित सम्मान देते थे ।वै कन्या का आरद सम्मान करते थै तो वे स्वयं उनके पैर छूते थे उनका यह व्यवहार प्रेरणास्पद एवम् अनुकरणीय था । उनके व्यक्तित्व के प्रभाव से आज भी मेरा परिवार प्रेम  के सूत्र में बंधा हुआ है। जीवन के उत्तरार्ध में भी वै कर्म के प्रति जागरूक रहे 1994 में सेवा निवृत्त होने के बाद भी कर्मकाड उनकी रूची बनी रही  स्वास्थ्य  में नर्म गर्म  हुआ करता था बुखार एवम् प्रोस्ट्रेट के कारण वो निरन्तर उनका स्वास्थ गिरता रहा व 15 फरवरी 2010 को 77 वर्ष की आयु में निधन हो गया 

बस यादें  ही  बाकि है मेरी आंखे नम हो रही है मुझे ऐसा लगा कि शायद वे   जल्दी चले गए वे अधिक उम्र तक जीवित रहते तो यह परिवार के लिए लाभकारी होता। फिर भी  विधाता के आगे कोई नहीं है जो भी समय हमारे साथ रहे उनका आशीर्वाद पहले भी था व आज भी है । 

ऐसे   पुण्य आत्मा का स्मरण पर विनम्र भावभीनी श्रद्धांजलि। शत शत नमन ।स्मरण 

 पवन गीते एवं समस्त गीते परिवार ।

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(Jaynarayan geete)


श्री गजानन राव जी शर्मा मनावर

श्री गजानन राव जी शर्मा मनावर

मनावर का शर्मा परिवार निमाड़ में एक जाना पहचाना परिवार है मेरे पिताजी श्री गजानन राव पिता विष्णु राम जी के नाम से जाने जाते थे हमारा परिवार पहले बांकानेर में रहता था बाद में शिक्षा एवं स्वास्थ्य कारण से मनावर आकर रहने लगा

श्री नारायण ब्रजलालजी सोहनी

पैतृक गांव -ब्राह्ममण गांव तहसील कसरॉवद जिला खरगोन
श्री नारायण सोहनी जी का जन्म सन 1906 ब्राहमण गांव में ब्रजलालजी सोहनी के घर हुआ। परिवार में पांच भाई और तीन बहने थी। परिवार में एकता बहुत थी और  हमेशा ही रही। आपकी प्रारंभिक शिक्षा धामनोद(नानाजी)के घर रहते हुए हुई।  उनका विवाह सौ घिसी बाई  (पिता रामभाऊ -माता सुभद्रा)  पंधाना से हुई।

श्री पंढरीनाथ वामनरावजी बर्वे

हमारे परम पूज्य आदरणीय पापा श्री पंढरीनाथ जी बर्वे पूज्यनीय वामनरावजी बर्वे के सुपुत्र व चार बहनो के इकलौते भाई थे।उनका जन्म 29 दिसम्बर 1946 व देहावसान 30 अप्रैल 2005 को हुवा। वे मूल निवासी  बलकवाड़ा  के थे ।आपकी धर्मपत्नी श्रीमती  मंजुला बर्वे बड़वानी के  श्री पंढरीनाथ जी जोशी की सुपुत्री  हैं।  

श्री बलराम हरिभाऊ गीते

      मेरे पिता स्व . श्रीबलराम जी हरिभाऊजी गीते मूल निवास . सुलगांव तेह. पुनासा जिला. खंडवा का जन्म सन् 1911 में हुआ ।पांच बेटे दो बेटियों के पिता,बहुमुखी प्रतिभा के धनी वे एक चिंतक,विचारक, कृषक,शिल्पकार,विद्वान कर्मकांडी ब्राह्मण एवं ज्योतिषी थे।राष्ट्रीय भावना से ओत _प्रोत उनका जीवन जिस पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक की विचारधारा का गहरा प्रभाव था । 

श्री महेंद्र कुमार श्रीधर शर्मा

मेरे पिताजी स्व. प्रोफेसर श्री महेंद्र कुमार श्रीधर का जन्म महू में पास ग्राम कोदरिया में 14 दिसम्बर 1948 में हुआ ।

शुरू से ही ओजस्वी ओर तेजस्वी होने के कारण उन्होंने खूब अध्ययन किया ।

गरीब परिस्थितियों के बावजुद मंदिरों में दियों के उजाले में पढ़ाई की ओर हर क्लास में अव्वल ही रहे और सम्पूर्ण परिवार और समाज मे प्रोफेसर बन के अपनी ख्याति फैलाई

श्री हरीश बाबूलाल पगारे

 श्री नार्मदीय ब्राह्मण समाज रायपुर (छ.ग.) के आन-बान-शान सक्रिय सहज सरल सहयोगी यशस्वी स्व. श्री हरीश जी पगारे पिता स्व.श्री बाबूलाल जी पगारे जन्मदिन ०३.०४.१९५७ प्रभूलीन १४.०९.१९८८ आप रायपुर विकास प्राधिकरण, रायपुर (छ.ग.) में स्टेनोग्राफर रहे अल्पायु में कुशाग्र तेजस्वी होने से देश के कोने-कोने में हवाई यात्रा की थी 

श्री श्रीहरी बाबूलाल जी पगारे

 .१९५५ - १९८२

नार्मदीय ब्राह्मण समाज जबलपुर के लोकप्रिय समाजसेवी सरल ह्रदय सदैव आनन्दमयी हँसमुख सर्वहितकारी स्व. श्री श्रीहरी जी पगारे (नन्हूभाई) पिता स्व.श्री बाबूलाल जी पगारे जन्मदिन ०१.०१.१९५५ प्रभूलीन १९.०१.१९८२ आपने धमनोद से इलेक्ट्रॉनिक विषय में आईटीआई की भिलाई स्टील प्लांट में कार्यरत रहे थे

श्रीमती सेवन्ती बाई बाबूलाल पगारे


पूज्यनीय पुण्यकीर्तिमय देवी माँ नर्मदा स्मरणीय नार्मदीय ब्राह्मण समाज खरगोन के प्रसिद्ध वकील स्व. नारायण शुक्ला की लाडली बेटी स्व. अ.सौ.सेवन्ती बाई पगारे पति स्व. श्री बाबूलाल जी पगारे जन्मदिन नामालूम लगभग १९३५ प्रभूलीन नवरात्रि दूज १९६७ आप अत्यंत सौम्य ह्रदय स्पर्शी मिलनसार भक्तिमान्यः साधनारत कुशल हार्मोनियम वादक भक्तिपूर्ण गायन शैली की धनी सिलाई-कटाई शिक्षाविद् गौसेवक सहज सरल सहयोगी समाजसेवी सादर शत् शत् नमन |