स्व. श्री पाण्डुरंग पिता श्री रामलाल सराफ बर्सले टिमरनी ।
1932 2006
टिमरनी समाज के स्थंम्भ रहे ,सरल उदार जरूरत मंद की सहायता मे हमेशा तत्तपर ।पुत्र
मनोहर बर्सले टिमरनी ।
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Pandurang ramlal saraf barsle
1932 2006
टिमरनी समाज के स्थंम्भ रहे ,सरल उदार जरूरत मंद की सहायता मे हमेशा तत्तपर ।पुत्र
मनोहर बर्सले टिमरनी ।
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Pandurang ramlal saraf barsle
वे अपने काम से बहुत प्रेम करते थे । मैंने उन्हें कभी क्रोधित होते हुए नहीं देखा न ही उन्होंने किसी को प्रताड़ित किया , बड़वाह एवम् समाज में पंड़ितजी वह गुरूजी के नाम से पहचाना जाता था । प्रतिदिन सुबह नागेश्वर मंदिर जाना एवम् हनुमानजी
का पाठ व अभिषेक पुजन करते थे उनके सानिध्य में बड़वाह के संस्कत विद्यालय में विप्र जनों ने अध्ययन कर कर्मकाण्ड सिखा व आज भी उनके शिष्य आजीविका चला रहे वे अपने कर्त्तव्यों से विचलित नहीं होते थे । हर छोटे बड़े को वे यथोचित सम्मान देते थे ।वै कन्या का आरद सम्मान करते थै तो वे स्वयं उनके पैर छूते थे उनका यह व्यवहार प्रेरणास्पद एवम् अनुकरणीय था । उनके व्यक्तित्व के प्रभाव से आज भी मेरा परिवार प्रेम के सूत्र में बंधा हुआ है। जीवन के उत्तरार्ध में भी वै कर्म के प्रति जागरूक रहे 1994 में सेवा निवृत्त होने के बाद भी कर्मकाड उनकी रूची बनी रही स्वास्थ्य में नर्म गर्म हुआ करता था बुखार एवम् प्रोस्ट्रेट के कारण वो निरन्तर उनका स्वास्थ गिरता रहा व 15 फरवरी 2010 को 77 वर्ष की आयु में निधन हो गया
बस यादें ही बाकि है मेरी आंखे नम हो रही है मुझे ऐसा लगा कि शायद वे जल्दी चले गए वे अधिक उम्र तक जीवित रहते तो यह परिवार के लिए लाभकारी होता। फिर भी विधाता के आगे कोई नहीं है जो भी समय हमारे साथ रहे उनका आशीर्वाद पहले भी था व आज भी है ।
ऐसे पुण्य आत्मा का स्मरण पर विनम्र भावभीनी श्रद्धांजलि। शत शत नमन ।स्मरण
पवन गीते एवं समस्त गीते परिवार ।
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(Jaynarayan geete)
मनावर का शर्मा परिवार निमाड़ में एक जाना पहचाना परिवार है मेरे पिताजी श्री गजानन राव पिता विष्णु राम जी के नाम से जाने जाते थे हमारा परिवार पहले बांकानेर में रहता था बाद में शिक्षा एवं स्वास्थ्य कारण से मनावर आकर रहने लगा
शुरू से ही ओजस्वी ओर तेजस्वी होने के कारण उन्होंने खूब अध्ययन किया ।
गरीब परिस्थितियों के बावजुद मंदिरों में दियों के उजाले में पढ़ाई की ओर हर क्लास में अव्वल ही रहे और सम्पूर्ण परिवार और समाज मे प्रोफेसर बन के अपनी ख्याति फैलाई
श्री नार्मदीय ब्राह्मण समाज रायपुर (छ.ग.) के आन-बान-शान सक्रिय सहज सरल सहयोगी यशस्वी स्व. श्री हरीश जी पगारे पिता स्व.श्री बाबूलाल जी पगारे जन्मदिन ०३.०४.१९५७ प्रभूलीन १४.०९.१९८८ आप रायपुर विकास प्राधिकरण, रायपुर (छ.ग.) में स्टेनोग्राफर रहे अल्पायु में कुशाग्र तेजस्वी होने से देश के कोने-कोने में हवाई यात्रा की थी
नार्मदीय ब्राह्मण समाज जबलपुर के लोकप्रिय समाजसेवी सरल ह्रदय सदैव आनन्दमयी हँसमुख सर्वहितकारी स्व. श्री श्रीहरी जी पगारे (नन्हूभाई) पिता स्व.श्री बाबूलाल जी पगारे जन्मदिन ०१.०१.१९५५ प्रभूलीन १९.०१.१९८२ आपने धमनोद से इलेक्ट्रॉनिक विषय में आईटीआई की भिलाई स्टील प्लांट में कार्यरत रहे थे