श्री नारायण सोहनी जी का जन्म सन 1906 ब्राहमण गांव में ब्रजलालजी सोहनी के घर हुआ। परिवार में पांच भाई और तीन बहने थी। परिवार में एकता बहुत थी और हमेशा ही रही। आपकी प्रारंभिक शिक्षा धामनोद(नानाजी)के घर रहते हुए हुई। उनका विवाह सौ घिसी बाई (पिता रामभाऊ -माता सुभद्रा) पंधाना से हुई। शादी के बाद भी इंदौर में शिक्षा जारी रखते हुए परिवार का पालन करने के लिये हुकुमचंद मिल में नोकरी करते हुए BA LLB की। पेशे की शुरुआत आपने मंडलेश्वर से की। फिर खरगोन में बस गए । यहा भी हमेशा ईमानदारी से केस लडे। स्वभाव से सरल सीधे औऱ सन्तोषी थे । प्रभावशाली व्यतिकत्व था । आपने कई विद्यार्थियों को शिक्षा के लिए यथा संभव सहायता की। समाज मे सब आपका सम्मान करते थे एवम अपने परिवार के विवाद सुलझाने के लिए बुलाते थे। आप नार्मदीय समाज धर्मशाला के कोषाध्यक्ष के पद पर रहते हुए समाज की सेवा की।
इनकी चार बेटियां थी । बड़ी सौ. काशी बाई पति श्री महेन्द्र पगारे( टाकली बड़गाँव) आदरणीय कमला बाई जिनको 20 साल की उम्र में पति शोक हुआ। तीसरी बेटी सौ. दमयंती शिवशंकर कानूनगो ( ठीकरी) औऱ सबसे छोटी सौ. सुलोचना श्री जगदीश चंद्र जी शर्मा मनावर( मेरी पूज्य साँसुमाँ)....
मुझे उनसे मिलने का सौभाग्य तो प्राप्त नही हुआ । पर उनके आशिर्वाद सदा ही साथ है।
अंत समय मे खरगोन छोड़कर अपने पैतृक गांव ब्रामण गांव में रहे। आपका स्वर्गवास दिनांक 29 जनवरी 1991 में हुआ।
हमारे परिवार के प्रेरणा स्त्रोत पूज्य नानाजी को सादर नमन।
श्रीमती मीता राजेश शर्मा
narayan sohani advocate
परम श्रद्धेय नाना जी को श्रद्धांजलि उनकी बहुत सी यादें शेष है
ReplyDeleteवाह मीता उनके बारे में इतना सब मटेरियल कहां से मिला