आप बचपन से ही परमार्थ कार्य हेतु स्वप्रेरित थे आपने हायर सेकेंडरी की शिक्षा खरगोंन से प्राप्त की ततपश्चात BAMS चिकित्सा शिक्षा हेतु इंदौर में राजकुमार सिंह विश्व विद्यालय में प्रवेश लिया । वहां आयुर्वेद चिकित्सको के सुनहरे भविष्य हेतु आंदोलन का नेतृत्व किया चिकित्सा शिक्षा के मध्य में ही माता जी का देहांत हो गया । चिकित्सा शिक्षा पूरी करने के बाद खरगोंन के आसपास ग्रामीण क्षेत्र में कुछ समय अपनी सेवाएं दी ततपश्चात बड़वानी के पास धरम राय जिला धार को अपनी कर्मस्थली मानकर करीब 35 वर्ष तक अपनी सेवाएं वही देते रहे। उनका अपना क्लीनिक था। आसपास के 30 से 40 km area में उनका काफी नाम था उन्होंने चिकित्सा को व्यवसाय की दृष्टि से नही अपितु सेवा के रूप में अपनाया विशेष कर गरीबों के लिए, उन्होंने अपने जीवन में कई गरीब मरीजों का मुफ्त में इलाज किया बल्कि दूर से आने वाले मरीजों को कई मर्तबा रुपये नही होने पर वाहन का किराया भी दिया उनका परम लक्ष्य ही था " मानव सेवा " करना और अपने सिंद्धातों से कभी समझौता नहीं करना और उसे ताउम्र निभाया ।
उनका अपने मरीजो के साथ कोई व्यावसायिक रिश्ता नही था वे हमेशा चौबीसों घंटे आधी रात को भी हर किसी के लिए आसानी से उपलब्ध होने वाले व लोगो की परेशानियों को हल करने वाले एक सच्चे निर्मल मन वाले Dr थे।उन्होनें गरीब से गरीब व्यक्ति का पूरे सम्मान के साथ उसका इलाज किया पैसो के अभाव में उन्होंने कभी किसी का इलाज नही रोका वे गरीबो के सच्चे मददगार थे।धर्मराय में आज भी वे एक मसीहा के रूप में याद किये जाते है। उन्होंने हमेशा कंचन को तुच्छ माना। एक डॉ का जो असली फर्ज होता हैं उन्हें वह पूरी निष्ठा से निभाते हुये हमने अपनी आँखों से देखा है।उन्होंने हमेशा हम परिवार के लोगो को यही शिक्षा दी कि गरीबो को वंचितों को हमेशा सम्मान दो प्यार दो यथासंभव उनकी मदद करो ।
आज उनकी शिक्षा हम भाई बहन को हमारी जिंदगी की पाठशाला में एक अच्छा विद्याथी बनाये रखने में बहुत सहायक है।उनकी जीवनशैली को देखकर हमने यही सीखा कि जिंदगी को किस प्रकार आडम्बर रहित सरल व सौम्य तरीके से जीना चाहिए व जीवन की बड़ी से बड़ी परेशानियों को किस प्रकार परिवार के साथ मिलजुलकर हँसते हँसते हल किया जाता हैं।उनका कार्यक्षेत्र बहुत विशाल व व्यस्त होने के बावजूद उन्होंने अपनी पारिवारिक जिम्मेदारिया बखूबी निभाई।
मुझे व मेरे भाई श्री रितेष बर्वे को बहुत गर्व हैं कि हम ऐसे व्यक्ति की संतान हैं जिनके जीवन को देखकर कह सकते हैं कि जिंदगी बड़ी होनी चाहिये लंबी नही।क्योकि 59वर्ष की अल्पायु में ही उनका देहावसान हो गया था| लेकिन जिंदगी के इस छोटे से सफर में उन्होंने बहुत से लोगो को जीवनदान दिया व परिवार का मार्गदर्शन किया । आपकी मधुर स्मृतियां हमारे ह्रदय पटल पर हमेशा अंकित रहेगी ।
(रश्मि शर्मा)
पूरे परिवार की ओर से अश्रुपूरित श्रद्धांजलि |
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pandharinath vamanrao barve
Very touching...sadar naman phuphaji.
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